________________ चैत्यवंदनमहाभाष्ये नमस्कारसूत्रस्य उल्लेखः / [प्राकृत एएसिं पञ्चण्डं नमुक्कारो-एसो पंचनमुक्कारो / किं करिज्जा ? सव्वं पावं नाणावरणीयाइकम्मं निस्सेसं पयरिसेणं दिसोदिसं नासइ सव्वपावप्पणासणो, तक्कज्ज वा नरगभवाइ। इत्थ गाहाओ जेणेस नमुक्कारो पत्तो पुण्णाणुबंधिपुण्णेण / नारयतिरियगईओ, तस्सावसं निरुद्धाओ // 1 // पंचनमुक्कारसमं अंते वच्चंति जस्स दसपाणा / सोजइ न जाइं मुक्खं, अवस्सममरत्तणं लहइ // 2 // अन्नं च इमाउ चिय, न होइ मणुओ कयाइ संसारे / दासो पेसो दुहिओ, नीओ विगलिंदिओ चेव // 3 // 10 तथा करआवत्ते जो पंचमंगलं साहुपडिमसंखाए / नववारा आवत्तय( इ ) छलंति तं नो पिसायाई // 4 // जओ मंताण मंतो परमो इमो त्ति, धेयाण धेयं परमं इमं ति / 15 - तत्ताण तत्तं परमं पवित्तं, संसारसत्ताणंदुहाहयाणं // 5 // ' एसो पंचनमुक्कारो एटले आ पांच परमेष्ठिने करेलो नमस्कार शुं करे छे ? 'सव्वपावप्पणासणो'–एटले सर्व प्रकारना ज्ञानावरणीय आदि आठ कर्मोने संपूर्णपणे नष्ट करे छे, अने कर्मनुं फळ जे नरकादि गति तेनो पण नाश करे छे।” (महानिशीथसूत्र) ____आ संबंधमां नीचे प्रमाणे गाथाओ मळे छे:20 "पुण्यानुबंधी पुण्यवाळा जे आत्माए आ नवकारने प्राप्त कर्यो छे, तेनी नरक अने तिर्यंच . गतिओ अवश्य रोकाई गई छे।” // 1 // "दश प्राणो जाय त्यारे ( मृत्युसमये ) पंचपरमेष्ठि नमस्कारहुँ जे स्मरण करे छे ते भले मोक्षमा न जाय तो पण देवलोकमां अवश्य जाय छ / " // 2 // ___"वळी, आ नमस्कारथी मनुष्य संसारमा कदीपण दास, प्रेष्य, दुर्भग, नीच के विकलेन्द्रिय25 अपूर्ण इन्द्रियवाळो थतो नथी" // 3 // तथा "हाथनी आंगळीना वेढा उपर बारनी संख्याथी नववार (108 वार ) नमस्कारमंत्रने जे गणे छे तेने पिशाच वगेरे छळी शकतां नथी / " // 4 // "दुःखोथी आघात पामेला संसारी मनुष्योने माटे आ (नवकारमंत्र) मंत्रोमां 30 परममंत्र छे, ध्यान करवा योग्यमां आ परमध्येय छे अने तत्त्वोमां परमतत्त्व छे" // 5 // 1 पंचनमुक्कारफलथुत्तं गा० 55 / जुओ प्रस्तुत ग्रंथ पृ. 370 / 2 पंचनमुक्कारफलथुत्तं गा०६० / जुओ प्रस्तुत ग्रंथ पृ०३७० / 3 नवकारलहुकुलकं गा०२। जुओ प्रस्तुत ग्रंथ पृ० 438 / 4 जुओ प्रस्तुत ग्रंथ पृ. 44, पं. 15-22.