________________ विभाग] नमस्कार स्वाध्याय / अन्नेहिपि सिद्धसेणदिवायर-वुड्डवाई-जक्खसेण-देवगुत्त-जसवण-खमासमणसीसरविगुत्त-नेमिचंद-जिनदासगणिखमग- सच्चसिरिपमुहेहिं जुगप्पहाणसुअहरेहिं बहु मन्नियमिणं " ति / ___ अन्यत्र तु संप्रति वर्तमानागमसूत्रमध्ये न कुत्राप्येवं नवपदाष्टसंपदादिप्रमाणो नमस्कार उक्तो दृश्यते, यतो भगवत्यादौ चैवं पञ्चपदान्युक्तानि___नमो अरहंताणं, नमो सिद्धाणं, नमो आयरियाणं, नमो उवज्झायाणं, नमो सव्वसाहूणं नमो। बंभीए लिवीए' इत्यादि। __क्वचित् 'नमो लोए सव्वसाहूणं' ति पाठ इति तवृत्तिः / प्रत्याख्याननिर्युक्तौ तु-नमस्कारसहितप्रत्याख्यानपारणप्रस्तावे चूर्णाविदमुक्तम्- नमो अरिहंताणं 5 भणित्वा पारयति, नवकारनियुक्तिचूर्णौ त्वेवमुक्तं, तथाहिअने बीजा पण सिद्धसेन दिवाकर, वृद्धवादी, यक्षसेन, देवगुप्त, यशोवर्धन क्षमाश्रमणना शिष्य 10 रविगुप्त, नेमिचंद्र, जिनदासगणि, क्षमक, सत्यश्री वगेरे युगप्रधान श्रुतधरोए एने बहुमान्य राखेल्छे।" - महानिशीथ सिवाय अत्यारे जे आगमसूत्रो वर्तमान छ एमां तो कोईपण स्थळे आ रीते नव पद अने आठ संपदा वगेरे प्रमाणवाळो नमस्कारमंत्र जोवामां आवतो नथी; कारणके भगवतीसूत्र वगेरेमां तो पांच ज पद कहेलां छे, जेमके- 'नमो अरहंताण, नमो सिद्धाणं, नमो आयरियाणं, नमो उवज्झायाणं, नमो सव्वसाहूणं, 15 नमो बंभीए लिवीए' वगेरे। '. तेनी ( अभयदेवमूरिए) रचेली वृत्तिमां' कहेलं छे के "कोईक प्रतिमा 'नमो लोए सव्वसाहूगं' पाठ पण मळे छे” प्रत्याख्याननियुक्तिमा नमस्कारसहित( नोकारशी )नु पञ्चक्खाण पारवाना प्रसंगमां चूर्णिमी आ प्रमाणे कर्तुं छे के "नमो अरिहंताणं 5 बोलीने पञ्चक्खाण पारे / नमस्कारनियुक्तिनी चर्णिमां तो आ प्रमाणे कयुं छे 20 1 जुओ प्रस्तुत ग्रंथ पृ० 1 . 2 जुओ प्रस्तुत ग्रंथ पृ. 8, पं. 12 3 भद्रबाहुखामिप्रणीत आवश्यकनियुक्तिमा 'प्रत्याख्यान' उपर जे नियुक्ति छे तेटलो भाग 'प्रत्याख्याननियुक्ति'ना नामथी ओळखाय छ। - 4 णमोकारं अकाऊणं जेमेउं ण वदृति तम्हा जेमणवेलाए भाणियव्वं-नमो अरहताणं मत्थएण वंदामो खमासमणो! णमोकार पारेमित्ति ।-आवश्यकचूर्णि ( उ. भाग) पृ० 315 / 5 नमो अरिहंताणं पछी 5 अंक लख्यो छे ते परथी 'नमो अरिहंताणं, नमो सिद्धाणं, नमो आयरियाणं, नमो उवज्झायाणं, नमो लोए सव्वसाहणं' ए पांच पद समजवानां होय एम लागे छे। 6 भद्रबाहुत्वामीरचित आवश्यकनियुक्तिमां नवकार उपर जे नियुक्ति छे तेटला भागने 'नमस्कारनियुक्ति' कहेवामां आवे छ / . 7 आवश्यकचूर्णिमां पृ० 504 मां जे पाठ छपायेलो छे तेमां 'नमो अरहताणं, सिद्धाणं, आयरियाणं, उवज्झायाणं, सव्वसाहूर्ण' ते प्रमाणे छ पद जणावेलां छे। . “सो पुण णमोकारो कति पदाणि ?, छ वा दस वा, तत्थ छप्पदाणिं णमो अरहताणं सिद्धाणं आयरियाणं उवज्झायाणं सव्वसाहूणं एते छप्पदा, इमाणि दस पदाणि-णमो अरहंताणं णमो सिद्धाणं एवं दस ।"-आवश्यकचूर्णि (पूर्व भाग) पृ० 504