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________________ 32 गाथा 104 विषय पत्र 11 सनत्कुमार आदि छ कल्पना देवोना ओपथी 101 अने आदिना चार गुणस्थानमा क्रमथी 100, 96, 70 अने 72 प्रकृतिना बन्धवामित्वनुं कथन 103 11 आनतादि चार कल्पना तथा नव प्रैवेयकना देवोना ओपथी 97, अने आदिना चार गुणस्थानमा 96, 92, 70, अने 72 प्रकृतिना बन्धस्वामित्वनुं कथन 103 11 पांच अनुत्तरना देवोना ओघथी अने अविरतसम्यग्दृष्टि * गुणस्थानमा 72 प्रकृतिना बन्धस्वामित्वनुं कथन 11-12 एकेन्द्रिय, विकलेन्द्रिय, पृथ्वी, जल अने वनस्पतिना ओपथी 109 तथा आदिना बे गुणस्थानमा क्रमथी 109, 96 अने मतान्तरे 94 प्रकृतिना बन्धखामित्वकथन 104 13 पश्चेन्द्रिय तथा त्रसकायिकोना ओघथी 120 अने प्रथमथी तेर गुणस्थानमा क्रमथी 117, 101, 74, 77, 67, 63, 59-58, 58-56-26, 22-21-20-1918, 17, 1, 1 अने 1 प्रकृतिना बन्धस्वामित्व- कथन 104 13 अनिकाय अने वायुकायिकोना ओघथी तथा मिध्यादृष्टि गुणस्थानमा 105 प्रकृतिना बन्धस्वामित्वन कथन - 13 योगमार्गणामां मनयोग 4 तथा वचयोग 4 मां ओपथी अने आदिथी तेर गुणस्थानमा पञ्चेन्द्रिय प्रमाणे प्रकृतिना बन्धस्वामित्वनुं कथन . 13 सत्यादिमनोयोग 4 अने वचनयोग 4 नुं स्वरूप 13 औदारिककाययोगमा ओघथी अने प्रथमथी तेर गुणस्थानमा पर्याप्तमनुष्यनी पेठे प्रकृतिना बन्धस्वामित्व- कथन 13-15 औदारिकमिश्रकाययोगमा ओघथी 114 अने पहेला, वीजा, चोथा अने तेरमा गुणस्थानमा क्रमथी 109, 94, 75 अने 1 प्रकृतिना बन्धस्वामित्वनुं कथन 15 कार्मणकाययोगमा ओघथी 112 अने पहेला, बीजा, चोथा अने तेरमा गुणस्थानमा क्रमथी 107, 94, 75 अने 1 प्रकृतिना बन्धस्वामित्वनुं कथन 15 आहारककाययोग अने आहारकमिश्रकाययोगमा ओपथी अने छहा गुणस्थानमा 63 प्रकृतिना बन्धस्वामित्वनुं कथन .. 105 105 106
SR No.004334
Book TitleChatvar Karmgranth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraguptasuri
PublisherJain Atmanand Sabha
Publication Year1997
Total Pages260
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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