________________ विषय 16 वैक्रियकाययोगा ओपथी अने प्रथमनां चार गुणस्थानमा सा मान्य देवगतिप्रमाणे प्रकृतिना बन्धस्वामित्वनुं कथन 16 क्रियमिश्रकाययोगमा ओपथी 102 अने पहेला, बीजा अने: - ... चोथा गुणस्थानमा क्रमथी 101, 94 अने 71 प्रकृतिना बन्धस्वामित्वतुं कथन 16 त्रीवेद आदि त्रण वेदमा ओपथी. 120 अने आदिनां नव गुणस्थानमा क्रमथी 117, 101, 74, 77, 67, 63, 59-58, 58-56-26 अने 22 प्रकृतिना बन्धस्वामि स्वर्नु कथन . 16 कषायमार्गणामां अनन्तानुबन्धिचतुष्कमां ओपथी 117 अने पहेला, बीजा गुणस्थानमा 117 अने 101 प्रकृतिना बन्ध खामित्वनुं कथन 16 अप्रत्याख्यानावरणचतुष्कमा ओपथी 118 अने आदिनां चार गुणस्थानमा क्रमथी 117, 101, 74 अने 77 प्रकृतिना बन्धस्वामित्वन कथन 16 प्रत्याख्यानावरणचतुष्कमा ओघथी 118 अने आदिना पांच गुणस्थानमा क्रमथी 117, 101,74, 77 अने 67 प्रक विना बन्धवामित्वनुं कथन 17 संज्वलनक्रोध, मान अने मायामां ओपथी 120 अने आदिनां.. नव गुणस्थानमा क्रमथी 117, 101, 74, 77, 67, 63, 59-58, 58-56-26, 22-21-20-19 अने 18 प्रकृतिना बन्धस्वामित्व कथन 17 संज्वलनलोभमां ओपथी 120 अने आदिनां दश गुणस्थानमा क्रमथी 117, 101, 74, 77, 67, 63, 59-58, 58-56-26, 22-21-20-19-18 अने 17 प्रकृतिना बन्धस्वामित्व, कथन 1. संयममार्गणामां असंयतना ओपथी 118 अने आदिना चार गुणस्थानमां क्रमथी 117, 101, 74 अने 77 प्रकृतिना बन्धस्वामित्वन कथन 1. ज्ञानमार्गणामां मतिअज्ञान आदि त्रण अज्ञानमां ओपथी 117 अने आदिनां त्रण गुणस्थानमा क्रमथी 117, 101 अने 74 . प्रकृतिना बन्धवामित्व- कथन