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________________ बन्धखामित्वनामका त्रीजा कर्मग्रन्थनी विषयसूची। गाथा विषय 1 मङ्गल अने विषयादिकनु कथन बन्धखामित्वनुं लक्षण चौद मार्गणास्थान अने तेना उत्तरभेदोनी सङ्ख्या 2-3 बन्धस्वामित्वमा उपयोगी पंचावन प्रकृतियोनो संग्रह 4-5 सामान्यथी नरकगतिमां तथा रत्नप्रभा आदि त्रण नरकना नारकोना ओपथी 101 अने आयनां चार गुणस्थानमा क्रमथी 100, 96, 70 अने 72 प्रकृतिना बन्धस्वामित्व, कथन 5 पहप्रभा आदि त्रण नरकना नारकोना ओपथी 100 अने पहेलां चार गुणस्थानमा क्रमथी 100, 96, 70 अने 71 प्रकृतिना बन्धखामित्वनुं कथन 6-7 सातमी नारकीमा ओघथी 99, अने आदिना चार गुणस्थानमा ___क्रमथी 96, 91, 70 अने 70 प्रकृतिना बन्धस्वामित्व, कथन / 7-8 तिर्यग्गतिमां पर्याप्ततिर्यञ्चोना ओपथी 117 अने आविना . पांच गुणस्थानमा क्रमथी 117, 101, 69, 70 अने 66 प्रकृतिना बन्धखामित्वनुं कथन 9 मनुष्यगतिमा पर्याप्तमनुष्योना ओपथी 120 अने आदिथी तेर गुणस्थानमा क्रमथी 117, 101, 69, 71, 67, 63, 5958, 58-56-56-26, 22-21-20-19-18, 17, 1, 1, अने 1 प्रकृतिना बन्धस्वामित्वर्नु कथन 9 लब्धिअपर्याप्त तिर्यन अने मनुष्योना ओपथी तथा मिध्या दृष्टिमा 109 प्रकृतिना बन्धखामित्वनुं कथन 10 सामान्यथी देवगतिमां तथा आदिना बे देवलोकमां देवोना ओपथी 104 अने आदिना चार गुणस्थानमा क्रमयी 103, 96, 70, अने 72 प्रकृतिना बन्धखामित्वनुं कथन 1. ज्योतिष्क, भवनपति, व्यन्तर अने तेनी देवीयोना ओपथी 103 तया आदिना चार गुणस्थानमा क्रमयी 103, 96, 7. अने 71 प्रकृतिना बन्धखामित्व, कथन
SR No.004334
Book TitleChatvar Karmgranth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraguptasuri
PublisherJain Atmanand Sabha
Publication Year1997
Total Pages260
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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