________________ नयचक्रस्य 'पुव्वं विबुह-समक्खं, गुरुणो एयस्स खंडियं माणं / तो इमिणा बालेणं, लज्जाहेऊ मह विवाओ' // 62 // . 'नूणं इमस्स लज्जा, होही वाए जियस्स' इय मल्लो। हत्थि व गडयडतो, पुव्वं जंपेइ निस्संको // 63 // जिणमय-सम्मय-पणविह-पच्चक्ख-परुक्ख-तिक्ख-बाणेहिं / मल्लो मल्लु व्व रणे, बुद्धबलं खंडइ पयंडो // 64 // पलयानिल-उल्लासिय-नयचक्क-महासमुद्द-लहरीसु / सुगयमय-धरणिवलयं, समंतओ बोलियं तेण // 65 // दोबायाल-पमाण-बाणुवलद्धी-महल्ल-चिक्खिल्ले / बुद्धगवी तह खुत्ता, जह नीहरि न सक्केइ // 66 // बहुहेउ-जुत्ति-जुत्तं, अइगुविलत्थं पसत्थ-वण्णेहिं / / वुत्तण पुन्वपक्खं, दिण-छक्कं निवइ-पच्चक्खं // 67 // सत्तमदिणम्मि मल्लो, बुद्धाणंद भणइ अणुवायं / काउं मह वयणाणं, वत्तव्वमिओ ठिओ मोणे // 68 // जुयलं सव्वंमि नरिंदाइ-लोए, उद्वित्तु नियगिहं पत्ते / बुद्धाणंदो वि गओ तब्भणियं चिंतइ निसाए // 69 // सो मल्वाइ-दिणयर--भणिय-विगप्पाइ-किरण-नियरम्मि / घूउ व्व अईवंधो, भमेइ तट्ठाणमलहंतो // 70 // जं जं वाइय-वयणं, दीवं काऊण उय(व)रिया-मज्झे / लिहियं तं जं जाणइ, बुद्धाणंदो न उण अन्नं(नो) / / 71 // तत्तो वीसरियम्मी, सयलम्मि वि पुवपक्ख-वयणम्मि / 'हद्धी ! रायसहाए, किमुत्तरं तस्स दाहामि ?' // 72 // एवं बुद्धाणंदो, खडिया-हत्थो अकित्ति-भय-भीओ। पाणेहि परिच्चत्तो, खलु व्व सो सज्जण-जणेहिं // 73 // रायसहाए मिलिए, लोए सयलम्मि मल्लवाइ-जुए। इक्को नवरि न एओ, बुद्धाणंदो पुणो तत्थ // 74 / / किं नागओ स अज वि!, पडिवाई तो भणंति तब्भवा / .. निचितो निद-सुहं, अणुहवमाणो धुवं होही // 75 / / जग्गइ अज वि न हु, सो बुद्धाणंदु ति तो निवो भणइ / कुसलं तस्स न नजइ, एसा जं दीहिया निदा / / 76 //