________________ 12. 824. 38 ] शान्तिपर्व [12. 325.4 ततः शीघ्रं जहौ शापं ब्रह्मलोकमवाप च // 38 / 35 / चतुर्महाराजिक / 36 / आभासुर / 30 / एतत्ते सर्वमाख्यातं ते भूता मानवा यथा। महाभासुर / 38 / सप्तमहाभासुर / 39 / याम्य नारदोऽपि यथा श्वेतं द्वीपं स गतवानृषिः। तत्ते सर्व प्रवक्ष्यामि शृणुष्वैकमना नृप // 39 महायाम्य / 41 / संज्ञासंज्ञ / 42 / तुषित इति श्रीमहाभारते शान्तिपर्वणि / 43 / महातुषित / 44 / प्रतर्दन / 45 / परिचतुर्विशत्यधिकत्रिशततमोऽध्यायः // 32 // निर्मित / 46 / वशवर्तिन् / 47 / अपरिनिर्मित 325 / 48 / यज्ञ / 49 / महायज्ञ / 50 // भीष्म उवाच। ___ यज्ञसंभव / 51 / यज्ञयोने / 52 / यज्ञगर्भ प्राप्य श्वेतं महाद्वीपं नारदो भगवानृषिः / / 53 / यज्ञहृदय / 54 / यज्ञस्तुत / 55 / बझददर्श तानेव नराश्वेतांश्चन्द्रप्रभाशुभान् // 1 भागहर / 56 / पश्चयज्ञधर / 57 / पञ्चकालकारीपूजयामास शिरसा मनसा तैश्च पूजितः। गते / 58 / पञ्चरात्रिक / 59 / वैकुण्ठः। 6 // दिक्षुर्जप्यपरमः सर्वकृच्छ्रधरः स्थितः // 2 ___ अपराजित / 61 / मानसिक / 12 / परमभूत्वैकाप्रमना विप्र ऊर्ध्वबाहुमहामुनिः / / खामिन् / 63 / सुस्मात / 64 / हंस / 65 / परमस्तोत्रं जगौ स विश्वाय निर्गुणाय महात्मने // 3 | हंस / 66 / परमयाज्ञिक / 67 / सांस्ययोग नारद उवाच। / 60 / अमृतेशय / 69 / हिरण्येशय / 70 / / नमस्ते देवदेव / 1 / निष्क्रिय। 2 / निर्गुण।३।। वेदेशय / 71 / कुशेशय / 72 / ब्रह्मेशय लोकसाक्षिन् / / क्षेत्रज्ञ / 5 / अनन्त / 6 / 73 / पद्मशय / 74 / विश्वेश्वर / 75 / त्वं [=116] / पुरुष / / महापुरुष / 8 / त्रिगुण जगदन्वयः / 76 / त्वं जगत्प्रकृतिः। 77 / तवामि१९। प्रथान / 10 // राख्यम् / 74 / वडवामुखोऽग्निः / 79 / त्वमाहुति: अमृत / 11 / व्योम। / 12 / सनातन / 13 / / 8 // सदसव्यक्ताव्यक्त / 14 / ऋतधामन् / 15 / ___ त्वं सारथिः / 81 / त्वं वषट्कारः / 42 / पूर्वादिदेव / 16 / वसुप्रद / 17 / प्रजापते / 18 / त्वमोंकारः / 83 / त्वं मनः / 84 / त्वं चन्द्रमा सुप्रजापते / 19 / वनस्पते / 20 // / 85 / त्वं चक्षुराद्यम् / 86 / वं सूर्यः / 47 / ___महाप्रजापते / 21 / ऊर्जस्पते / 22 / वाच- त्वं दिशां गजः / 88 / दिग्भानो / 89 / हयशिरः स्पते / 23 / मनस्पते / 24 / जगत्पते / 25 / / 90 // दिवस्पते / 26 / मरुत्पते / 27 / सलिलपते / 28 / प्रथमत्रिसौपर्ण / 91 / पञ्चाग्ने / 92 / त्रिणापृथिवीपते / 29 / दिक्पते / 30 // चिकेत / 93 / षडङ्गविधान / 94 / प्राग्ज्योतिष पूर्वनिवास / 31 / ब्रह्मपुरोहित / 32 / ब्रह्म- / 95 / ज्येष्ठसामग / 96 / सामिकव्रतधर / 97 / कायिक / 33 / महाकायिक / 34 / महाराजिक | अथर्वशिरः / 98 / पञ्चमहाकल्प / 99 / फेन -2447 -