________________ 9. 64. 40 ] महाभारते [9. 64. 43 राज्ञस्तु वचनं श्रुत्वा कृपः शारद्वतस्ततः / द्रौणि राज्ञो नियोगेन सेनापत्येऽभ्यषेचयत् // 40 सोऽभिषिक्तो महाराज परिष्वज्य नृपोत्तमम् / / प्रययौ सिंहनादेन दिशः सर्वा विनादयन् // 41 दुर्योधनोऽपि राजेन्द्र शोणितौघपरिप्लुतः / तां निशां प्रतिपेदेऽथ सर्वभूतभयावहाम् // 42 अपक्रम्य तु ते तूर्णं तस्मादायोधनान्नृप / शोकसंविनमनसश्चिन्ताध्यानपराभवन् // 43 इति श्रीमहाभारते शल्यपर्वणि चतुःषष्टितमोऽध्यायः // 6 // // समाप्तं गदायुद्धपर्व // // समाप्तं शल्यपर्व // - 1980