________________ 1. 2. 41] महाभारते [1. 2. 71 द्यूतपर्व ततः प्रोक्तमनुद्यूतमतः परम् // 41 द्रोणाभिषेकः पर्वोक्तं संशप्तकवधस्ततः // 56 तत आरण्यकं पर्व किर्मीरवध एव च / अभिमन्युवधः पर्व प्रतिज्ञापर्व चोच्यते / ईश्वरार्जुनयोयुद्धं पर्व कैरातसंज्ञितम् // 42 जयद्रथवधः पर्व घटोत्कचवधस्ततः // 57 इन्द्रलोकाभिगमनं पर्व ज्ञेयमतः परम् / ततो द्रोणवधः पर्व विज्ञेयं लोमहर्षणम् / तीर्थयात्रा ततः पर्व कुरुराजस्य धीमतः // 43 मोक्षो नारायणास्त्रस्य पर्वानन्तरमुच्यते / / 58 .. जटासुरवधः पर्व यक्षयुद्धमतः परम् / कर्णपर्व ततो ज्ञेयं शल्यपर्व ततः परम्। . तथैवाजगरं पर्व विज्ञेयं तदनन्तरम् // 44 हृदप्रवेशनं पर्व गदायुद्धमतः परम् / / 59 मार्कण्डेयसमस्या च पर्वोक्तं तदनन्तरम।। सारस्वतं ततः पर्व तीर्थवंशगुणान्वितम् / संवादश्च ततः पर्व द्रौपदीसत्यभामयोः॥ 45 अत ऊर्ध्वं तु बीभत्सं पर्व सौप्तिकमुच्यते // 60 घोषयात्रा ततः पर्व मृगस्वप्नभयं ततः। ऐषीकं पर्व निर्दिष्टमत ऊर्ध्वं सुदारुणम् / .. व्रीहिद्रौणिकमाख्यानं ततोऽनन्तरमुच्यते // 46 जलप्रदानिकं पर्व स्त्रीपर्व च. ततः परम् // 61 द्रौपदीहरणं पर्व सैन्धवेन वनात्ततः। . श्राद्धपर्व ततो ज्ञेयं कुरूणामौर्ध्वदेहिकम् / कुण्डलाहरणं पर्व ततः परमिहोच्यते // 47 आभिषेचनिक पर्व धर्मराजस्य धीमतः // 62 आरणेयं ततः पर्व वैराटं तदनन्तरम् / चार्वाकनिग्रहः पर्व रक्षसो ब्रह्मरूपिणः / कीचकानां वधः पर्व पर्व गोग्रहणं ततः॥ 48 प्रविभागो गृहाणां च पर्वोक्तं तदनन्तरम् / / 63 . अभिमन्युना च वैराट्याः पर्व वैवाहिकं स्मृतम् / शान्तिपर्व ततो यत्र राजधर्मानुकीर्तनम् / उद्योगपर्व विज्ञेयमत ऊर्ध्वं महाद्भुतम् // 49 आपद्धर्मश्च पर्वोक्तं मोक्षधर्मस्ततः परम् // 64 / ततः संजययानाख्यं पर्व ज्ञेयमतः परम् / ततः पर्व परिज्ञेयमानुशासनिकं परम् / प्रजागरं ततः पर्व धृतराष्ट्रस्य चिन्तया // 50 स्वर्गारोहणिकं पर्व ततो भीष्मस्य धीमतः / / 65 पर्व सानत्सुजातं च गुह्यमध्यात्मदर्शनम् / ततोऽश्वमेधिक पर्व सर्वपापप्रणाशनम् / यानसंधिस्ततः पर्व भगवद्यानमेव च // 51 अनुगीता ततः पर्व ज्ञेयमध्यात्मवाचकम् // 66 ज्ञेयं विवादपर्वात्र कर्णस्यापि महात्मनः / पर्व चाश्रमवासाख्यं पुत्रदर्शनमेव च / निर्याणं पर्व च ततः कुरुपाण्डवसेनयोः // 52 नारदागमनं पर्व ततः परमिहोच्यते // 67 रथातिरथसंख्या च पर्वोक्तं तदनन्तरम् / मौसलं पर्व च ततो घोरं समनुवर्ण्यते / उलूकदूतागमनं पर्वामर्षविवर्धनम् // 53 महाप्रस्थानिकं पर्व स्वर्गारोहणिकं ततः / / 68 अम्बोपाख्यानमपि च पर्व ज्ञेयमतः परम् / हरिवंशस्ततः पर्व पुराणं खिलसंज्ञितम् / भीष्माभिषेचनं पर्व ज्ञेयमद्भुतकारणम् // 54 भविष्यत्पर्व चाप्युक्तं खिलेष्वेवाद्भुतं महत् // 69 जम्बूखण्डविनिर्माणं पर्वोक्तं तदनन्तरम् / एतत्पर्वशतं पूर्ण व्यासेनोक्तं महात्मना / भूमिपर्व ततो ज्ञेयं द्वीपविस्तरकीर्तनम् // 55 यथावत्सूतपुत्रेण लोमहर्षणिना पुनः // 70 पर्वोक्तं भगवद्गीता पर्व भीष्मवधस्ततः / कथितं नैमिषारण्ये पर्वाण्यष्टादशैव तु / - 12 -