________________ 1. 90. 65] आदिपर्व [1.90.96 पाण्डुम् / चरता धर्ममिमं येन त्वयाभिज्ञेन काम युधिष्ठिरस्तु गोवासनस्य शैब्यस्य देविकां नाम रसस्याहमनवाप्तकामरसोऽभिहतस्तस्मात्त्वमप्येताम कन्यां स्वयंवरे लेभे / तस्यां पुत्रं जनयामास यौवस्थामासाद्यानवाप्तकामरसः पञ्चत्वमाप्स्यसि क्षिप्र धेयं नाम // 83 // भीमसेनोऽपि काश्यां बलधरां मेवेति // 65 // स विवर्णरूपः पाण्डुः शापं परि नामोपयेमे वीर्यशुल्काम् / तस्यां पुत्रं सर्वगं नामोहरमाणो नोपासर्पत भार्ये // 66 // वाक्यं चो त्पादयामास // 84 // अर्जुनः खलु द्वारवतीं गत्वा वाच / स्वचापल्यादिदं प्राप्तवानहम् / शृणोमि च भगिनीं वासुदेवस्य सुभद्रां नाम भार्यामुदवहत् / नानपत्यस्य लोकाः सन्तीति // 67 // सा त्वं तस्यां पुत्रमभिमन्यु नाम जनयामास // 85 // मदर्थे पुत्रानुत्पादयेति कुन्तीमुवाच // 68 // सां नकुलस्तु चैद्यां करेणुवतीं नाम भार्यामुदवहत् / तत्र पुत्रानुत्पादयामास धर्माद्युधिष्ठिरं मारुताद्भीम तस्यां पुत्रं निरमित्रं नामाजनयत् // 86 // सहदेसेनं शक्रादर्जुनमिति // 69 // स तां हृष्टरूपः वोऽपि माद्रीमेव स्वयंवरे विजयां नामोपयेमे / पाण्डुरुवाच / इयं ते सपत्न्यनपत्या / साध्व तस्यां पुत्रमजनयत्सुहोत्रं नाम // 87 // भीमसेस्यामपत्यमुत्पाद्यतामिति // 70 // स एवम नस्तु पूर्वमेव हिडिम्बायां राक्षस्यां घटोत्कचं नाम स्त्वित्युक्तः कुन्त्या // 71 // ततो मायामश्विभ्यां पुत्रं जनयायास // 88 // इत्येते एकादश पाण्डनकुलसहदेवावुत्पादितौ // 72 // माद्री खल्वलं वानां पुत्राः // 89 // कृतां दृष्ट्वा पाण्डुर्भावं चक्रे / / 73 // स तां स्पृष्ट्वैव ___विराटस्य दुहितरमुत्तरां नामाभिमन्युरुपयेमे / विदेहत्वं प्राप्तः // 74 // तत्रैनं चितास्थं माद्री तस्यामस्य परासुर्गर्मोऽजायत / 90 // तमुत्सङ्गेन समन्वारुरोह // 75 // उवाच कुन्तीम् / यमयो प्रतिजग्राह पृथा नियोगात्पुरुषोत्तमस्य वासुदेवस्य / पर्ययाप्रमत्तया भवितव्यमिति // 76 // षाण्मासिकं गर्भमहमेनं जीवयिष्यामीति // 91 // ततस्ते पञ्च पाण्डवाः कुन्त्या सहिता हास्तिन संजीवयित्वा चैनमुवाच / परिक्षीणे कुले जातो पुरमानीय तापसैर्भीष्मस्य विदुरस्य च निवेदिताः भवत्वयं परिक्षिन्नामेति // 92 // / 77 // तत्रापि जतुगृहे दग्धं समारब्धा न शकि ____ परिक्षित्तु खलु माद्रवती नामोपयेमे / तस्यामस्य | विदुरमत्रितेन // 78 // ततश्च हिडिम्बमन्तरा जनमेजयः // 93 // . हत्वा एकचक्रां गताः // 79 // तस्यामप्येकच ___ जनमेजयात्तु वपुष्टमायां द्वौ पुत्रौ शतानीकः जयां बकं नाम राक्षसं हत्वा पाश्चालनगरमभि शङ्कश्च // 94 // ताः॥८ // शतानीकस्तु खलु वैदेहीमुपयेमे / तस्यामस्य तस्माद्रौपदी भार्यामविन्दन्स्वविषयं चाजग्मुः जज्ञे पुत्रोऽश्वमेधदत्तः // 95 // शलिनः // 81 // पुत्रांश्चोत्पादयामासुः / प्रति इत्येष पूरोवंशस्तु पाण्डवानां च कीर्तितः / न्ध्यं युधिष्ठिरः / सुतसोमं वृकोदरः / श्रुतकीर्ति पूरोवंशमिमं श्रुत्वा सर्वपापैः प्रमुच्यते // 96 // र्जुनः / शतानीकं नकुलः / श्रुतकर्माणं सहदेव इति श्रीमहाभारते आदिपर्वणि ति॥ 82 // नवतितमोऽध्यायः॥ 9 // . - 135 -