________________ 1. 90. 34] महाभारते [1. 90. 65 भरतः खलु काशेयीमुपयेमे सार्वसेनी सुनन्दा यं यं कराभ्यां स्पृशति जीर्णं स सुखमनुते / नाम / तस्यामस्य जज्ञे भुमन्युः // 34 // पुनयुवा च भवति तस्मात्तं शंतनुं विदुः // 48 भुमन्युः खलु दाशार्हामुपयेमे जयां नाम। / तदस्य शंतनुत्वम् // 49 // तस्यामस्य जज्ञे सुहोत्रः॥ 35 // शंतनुः खलु गङ्गां भागीरथीमुपयेमे। तस्यामस्य सुहोत्रः खल्विक्ष्वाकुकन्यामुपयेमे सुवर्णां नाम। | जज्ञे देवव्रतः। यमाहुर्भीष्म इति / / 50 // तस्यामस्य जज्ञे हस्ती / य इदं हास्तिनपुरं मापया- भीष्मः खलु पितुः प्रियचिकीर्षया सत्यवतीमुमास / एतदस्य हास्तिनपुरत्वम् / / 36 // दवहन्मातरम् / यामाहुर्गन्धकालीति // 51 // हस्ती खलु त्रैगर्तीमुपयेमे यशोधरां नाम / तस्यां कानीनो गर्भः पराशराद्वैपायनः / तस्यामेव तस्यामस्य जज्ञे विकुण्ठनः // 37 // शंतनोझै पुत्रौ बभूवतुः / चित्राङ्गदो विचित्रवीविकुण्ठनः खलु दाशार्हामुपयेमे सुदेवां नाम / र्यश्च / / 52 // तयोरप्राप्तयौवन एव चित्राङ्गदो तस्यामस्य जज्ञे अजमीढः // 38 // गन्धर्वेण हतः। विचित्रवीर्यस्तु राजा समभवत् / / 53 अजमीढस्य चतुर्विंशं पुत्रशतं बभूव कैकेय्यां विचित्रवीर्यः खलु कौसल्यात्मजे अम्बिकाम्बानागाया गान्धार विमलायामृक्षायां चेति / पृथ- लिके काशिराजदुहितरावुपयेमे / / 54 // विचित्रपृथग्वंशकरा नृपतयः। तत्र वंशकरः संवरणः // 39 / वीर्यस्त्वनपत्य एव विदेहत्वं प्राप्तः / / 55 // ततः संवरणः खलु वैवस्वतीं तपती नामोपयेमे / सत्यवती चिन्तयामास / दौःषन्तो वंश उच्छितस्यामस्य जज्ञे कुरुः // 40 // द्यते इति // 56 // सा द्वैपायनमृर्षि चिन्तयामास कुरुः खलु दाशार्हामुपयेमे शुभाङ्गी नाम / // 57 // स तस्याः पुरतः स्थितः किं करवाणीति तस्यामस्य जज्ञे विडूरथः // 41 // // 58 // सा तमुवाच / भ्राता तवानपत्य एव विडूरथस्तु मागधीमुपयेमे संप्रियां नाम / तस्या- स्वर्यातो विचित्रवीयः। साध्वपत्यं तस्योत्पादयेति मस्य जज्ञे अरुग्वान्नाम // 42 // // 59 // स परमित्युक्त्वा त्रीन्पुत्रानुत्पादयामास अरुग्वान्खलु मागधीमुपयेमे अमृतां नाम / धृतराष्ट्रं पाण्डुं विदुरं चेति // 60 // तस्यामस्य जज्ञे परिक्षित् // 43 // तत्र धृतराष्ट्रस्य राज्ञः पुत्रशतं बभूव गान्धार्या परिक्षित्खलु बाहुदामुपयेमे सुयशां नाम / वरदानाहैपायनस्य // 61 // तेषां धृतराष्ट्रस्य पुत्राणां तस्यामस्य जज्ञे भीमसेनः / / 44 // चत्वारः प्रधाना बभूवुर्दुर्योधनो दुःशासनो विकभीमसेनः खलु कैकेयीमुपयेमे सुकुमारी नाम / कश्चित्रसेन इति / / 62 // . तस्यामस्य जज्ञे पर्यश्रवाः। यमाहुः प्रतीपं नाम // 45 पाण्डोस्तु द्वे भार्ये बभूवतुः कुन्ती माद्री चेत्युभे प्रतीपः खलु शैब्यामुपयेमे सुनन्दा नाम / तस्यां स्त्रीरत्ने / 63 // पुत्रानुत्पादयामास देवापिं शंतनुं बाह्रीकं चेति // 46 ___ अथ पाण्डुZगयां चरन्मैथुनगतमृषिमपश्य देवापिः खलु बाल एवारण्यं प्रविवेश। शंत- न्मृग्यां वर्तमानम् / तथैवाप्लुतमनासादितकामरसमनुस्तु महीपालोऽभवत् / अत्रानुवशो भवति // 47 // / तृप्तं बाणेनाभिजधान // 64 // स बाणविद्ध उवाच - 134 -