________________ 332.] आचार्यश्रीहेमचन्द्रविरचित [धा० 221 अथ पान्तास्त्रयः // . . " '221 गुप' / गोपयति / अन्यत्र गुपौ रक्षणे [ 1 / 332 ], "गुपौधूप०" 14.1 इत्याये गोपायति // ' 222 धूप' / धूपयति / अन्यत्र धूप संतापे [ 1 / 334 ], धूपायति // , "223 कुप' / कोपयति / अन्यत्र कुपच् क्रोधे [ 3 / 48 ], कुप्यति // .. . अथ वान्तः // -- 224 चीव' / चीत्रयति / अन्यत्र चीन झषीवत् [ 11921 ], चीवते बीवति // अथ शान्तावुदितौ च // -- 225 दशु' / दंशयति / अन्यत्र दंश दशने [ 11496 ], दशति / / * 226 कुशु' / कुंशयति / अन्यत्र कुंशात // अथ सान्ताश्चत्वार उदितश्च // '227 त्रसु' / सयति / अन्यत्र सति // - 228 पिसु' / पिसयति / अन्यत्र पिंसति / / -- 229 कुसु' / कुंसयति / अन्यत्र कुंसति // '230 दसु' / दसयति / अन्यत्र दसति // / अथ हान्ताः षट् वर्हवल्ही मुक्त्वा उदितश्च // '231 वई' / वहयति / अन्यत्र वहि प्राधान्ये [ 11862 ], वर्हते / / / 232 वृह' / वृहयति / " णिवेत्ति० " 53 / 111 इत्यने वृहणा / अन्यत्र बहु शब्दे च [11560 ], बृंहति // 5233 वल्ह' / वल्हयति / अन्यत्र वल्हि प्राधान्ये [ 12863 ], वल्हते // * 234 अहु' / अंहयति / अन्यत्र अहुङ् गतौ [ 11858 ], अंहते // :: 235 बहु' / वंहयति //