________________ 220 ] धातुपारायणे चुरादयः (9) [331 '210 लुजु' / लुञ्जयति / अन्यत्र लुअति // 211 मजु' / भक्षयति / अन्यत्र भोंप आमदने [ 6 / 14 ], मनक्ति / अथ टान्ताः पञ्च // . '212 पट'। पाटयति / अन्यत्र पट गतौ [1 / 195], पटति / पटण् ग्रन्थे [9 / 294 ], अदन्तः, पटयति // ___213 पुट' / पोटयति / अन्यत्र पुटत् संश्लेषणे [5 / 127], पुटति // 21.4 लुट'। लोटयति / अन्यत्र लुटि प्रतीघाते [ 11941], लोटते / लुटच विलोटने [ 3 / 34], लुट्यति // '215 घट'। घाटयति / अन्यत्र घटिष चेष्टायाम् [1 / 1000], घटते / णिगि “घटादेः०" 4 / 2 / 24 इति इस्वे घटयति / घटण संघाते [9 / 169] इति पठितोऽपि सकर्मकार्थम् अर्थविशेषार्थ च पुनरिहायमधीतः // _ '216 घटु'। उदिवान्ने घण्टयति / अचि घण्टा / अन्यत्र घण्टति / / इह रुटनटौ टान्तौ लड्डुनडौ च डान्तौ केचिदधीयते / रुट रोटयति / अन्यत्र रुटि प्रतीपाते [ 1940 ], रोटते / नट नाटयति / अन्यत्र गट नृती [1 / 187), नटति / भ्वादौ आत्मनेपदीति नन्दी, नटते / लड्डु, उदिचाने लण्डयति / अन्यत्र लण्ड ति / तड ताडयति, अन्यत्र तडति // अथ तान्तः // "217 घृत' / वर्तयति / अन्यत्र वृतूङ् वर्तने [ 11955 ], वर्तते // अथ थान्तः // 218 पुथ' / पोथयति / अन्यत्र पुथच हिंसायाम् [3 / 11], पुथ्यति / / अथ दान्तः // 219 नद' / नादयति / अन्यत्र णद अव्यक्ते शब्दे [1 / 299], नदति // अथ धान्तः / / 220 वृध' / वर्धयति / अन्यत्र वृधू वृद्धौ [ 11957 ], वर्धते // .