________________ VI : Index of Verses of the Unadi-patha in the Auto-commentary of the PGBV. // 6 // स्वोपज्ञवृत्तिस्थोणादिपद्यानामनुक्रमणिका // आतुकुसुत्युधुकित्कृषिहीषु....॥४।१।३।४।७।। लोपो युरुन्देस्तनवीपतिभ्यां......||४|१।३।४।२४।। इद्यः स्यमो भीशीङ आनको...||४।१।३।४।१७|| पर्जन्यधिष्ण्यशक्यानि या....॥४।१।३।४।३२।। इरिणं विपिनं तुहिनं महिनं...॥४।१।३।४।२५॥ पूरकृपूपिञ्जशबादितोर्म इतोत्र......॥४।१।३।४।३८॥ उणशृस्वदिसाधिमिपाजिकृ...॥४।१।३।४।१॥ प्रह्वः सर्जूश्च कर्कन्धूः खा.....।।४।१।३।४।९।। उलूको भल्लूको मधूको जलूका...||४|१।३।४।१९।। भण्ड्यङ्गिपीयमञ्जुत ऊषपृकुषं...॥४।१।३।४।४०।। ऊथं च वृञ्जकृषिगायुषः क्थन्..।।४।१।३।४।२३।। भद्रोग्रकृच्छ्रमथ दभ्र उताग्र शुक्राः...... . कापाकृदाधाशलिराचिमार्चीण...||४।१।३।४।१५।। / / 4 / 13 / 4 / 34 // कीकन्नलीषो कृ मृदेहीका...||४|१।३।४।१८॥ मघवन्निमन्निमिर्गम्पथिमथ्यभुक्षे...।।४।१।३।४।४४|| कृतकृपः कीटं जटा च लोष्ठो...||४।१।३।४।२०॥ मद्यङ्किचत्वाशिमथस्वसेरुरो.....।।४।१।३।४।३३।। क्मलंकुटोऽलं च गमेर्बलञ्बलौ..।।४।१।३।४।३९॥ यात्वप्तुजीवात्रुतुकेतुपीतु...।।४।१५३।४।५।। गृधृषिनोऽदिवसथप ऊर:......।।४।१।३।४।३।। रश्मार्मिभूमि शदिरस्त्रिभूस्व....॥४।१।३।४।१२।। गवामलूपूङनदन्हसीणः...||४।१।३।४।२२॥ रेणुवर्णसूनुविष्णुः वेनु जनु...।।४।१।३।४।६।। गश्रोवलिघश्विसिकण् खटेः क्वन्..।।४।१।३।४।२९॥ वसिशीत्रपिपट्यसि बन्धे....॥४।१।३।४।२।। घनश्यजो जन्पणतेरिणश्रिवी....॥४।१।३।४।११।। विष्टपकणिपविशिपखजपाः.....।४।१३।४।२७|| चक्कठोरोर डोरो घुणेः स्या...||४।१।३।४।३७|| वृतृकमेहन्वदऋष्वृषिस्नुवः....।।४।१।३।४।४१।। जधन्यजणिशिदिणोऽथ चक्षः.....॥४||३।४।४५॥ वृषुष्योर्भः गस्त्विणोऽसौ...।।४।१।३।४।३०।। जामातृमातृस्वसृनप्तनेष्टुत्वष्ट......।।४।१।३।४।१०।। वृद्रोश्च पातेर्डति दृब्बसेः क्तिन्...॥४।१।३।४।१४।। झट नन्दिजीवे रुहि साधिभासे..... व्योमन्वेमन्सामन्होमनोमन्लोम......॥४।१।३।४।४३।। // 41 // 3 / 4 / 21 / / श्रः कर: कित् पुषः क्षीय ईरट..... ट्कत्सूषिमुभ्य इति वृञ् कडि....।।४।१।३।४।३५।। // 4 / 1 / 3 / 4 / 36 / / डूर्धमेरू चमेस्तच्च षश्छ:....॥४।१।३।४।८॥ श्रिवहिश्रयुवशकुनिणि वियो.....॥४।१।३।४।१३।। दुष्ठुरपष्टुधनुस्वरुमय्वपत्सु...।।४।१।३।४।४।। श्लक्ष्णं कृणं कृत्स्नं रास्नापि...॥४।१।३।४।२८।। द्वे व्राज्युरेर्वश्वणितः किजि स्रुवः...... पुग्वा भियो युज़ुजितिजाधमः....।।४।१।३।४।३१।। // 4 / 1 / 3 / 4 / 42 // सम्प्रति भूतभविष्यति काले....।।४।१।३।४।४६।। न सिद्रोः स्वपितो नगुषीणः.....||४|१।३।४।२६।। स्रुकोल्मकस्यमिकाश्च पृथुकः...||४|१।३।४।१६।। - .