________________ V : Index of Verses of the Dhatu-patha in ____the Auto-commentary of the PGV. // 5 // स्वोपज्ञवृत्तिस्थधातुपद्यानामनुक्रमणिका // अञ्चदृष्ट्युपसंहारे दण्ड....॥३।४।२।१।१२४॥ क्वथः कथे मथे बलः क्षर...||३।४।२।१।५४।। अदो हनः षंसिषसौ शये स्तः // 3 / 4 / 2 / 1 / 63 // क्षिषु णभ तुभगाभीक्ष्ण्ये इष..।।३।४।२।१।९९।। अलजु प्रोथ पर्याप्तौ उबुन्दि...॥३।४।२।१५८॥ खगिरगिलिशकर्बः खर्बः....||३।४।२।१।११॥ आङ: क्रन्दे च सातत्ये प्रतियत्न... गजमार्जह्लपम्लेच्छश्वल्क....॥३।४।२।१।१०८।। // 3 / 4 / 2 / 1 / 115 // गर्व माने डु लाभक्षिपौ मिश्र.... आयासे दाधृ शैथिल्ये श्रथि....॥३।४।२।१।४०।। // 3 / 4 / 2 / 1 / 126 / / उखनखणखवञ्चुः चञ्चु....॥३।४।२।१।१०।। गुहू संवरणे दान खण्डने...॥३।४।२।१।६१॥ उच समवाये जिमिदा स्नेहने...||३।४।२।२।१७७॥ चक्षिङ् सुवाचीरकासिखिदास...॥३।४।२।१।६६।। उच्छी विवासे चप सान्त्वने स्यात्... चट्चूषपाः (पाने) खै खदने....॥३।४।२।१।६।। // 3 / 4 / 2 / 1 / 21 // चमुच्छमुजमुखाभक्ष तु....॥३।४।२।१७॥ उज्झोत्सर्गे घूर्णघुणौ षुसुरेशे...||३।४।२।१।८७॥ चर्चमुचत्रस अञ्चुभर्जार्जज्ञा....॥३।४।२।१।११२।। ओलस्जी ओलजी व्रीडे जुषी...||३।४।२।१।९२॥ चितिमडिचुदो लक्षं भक्षः श्लिष... ककिवकितिकढौकृत्रौकृध्रज....॥३।४।२।१।३५।। ||3 / 4 / 2 / 1 / 105 // कडि क्षीबृ मदे स्कुदि आप्रवणे...॥३।४।२।१।३५॥ चीपरिवृज्ञषचीवृ आदाने..||३।४।२।१।५९॥ कषशिषरुषसंरुसृम्भृव..।।३।४।२।१।१६।। छेदोंऽसस्तु समाघाते स्थूलडु...||३।४।२।१।१२५।। कीटचूर्णवचटङ्किपत्रयः वर्ण....॥३।४।२।१।१०६॥ जलवटेदितौ अज्चा प्रकाशन..||३।४।२।१।१२७।। कुच्कुञ्चत॒हि तु वक्रतायां...॥३।४।२।१।२२।। जूषुजनक्नुसुरञ्जि च मन्ता....।।३।४।२।१।५२।। कुणकुरघुरघः पुरोऽग्रगे क्षुर...॥३।४।२।१।८९॥ जैक्षैक्षियः मन्थगडिश्रुमूर्छा...॥३।४।२।१।३।। कूण संकोचने स्यात् समालोचने... ज्याज तु नृ गृधथ रेषणे री...||३।४।२।१।९७।। // 3 / 4 / 2 / 1 / 111 // ज्वरः कगेवन् गड सेचने नट:...||३।४।२।११४९।। कुथिपुथिलुथिमान्थरथपाद....॥३।४।२।१।१५॥ डु की द्रु मी प्री यु षि बन्धने क्नु.... कुर्दखुदौ उर्दगुर्दास्तु क्रीडायां...॥३।४।२।१।३६।। // 3 / 4 / 2 / 1 / 96 / / क्रदकदिकदिकन्दिल कृपायां..॥३।४।२।१।४८॥ तक्कककखहसाः गग्घघग्घश्च....॥३।४।२।१।२८।। क्लिशोपतापे वरणे वृत् स्याद्...||३।४।२।१।८०॥ तनु विस्तारे दाने षणु अदने....||३।४।२।१।९५।।