________________ व्यञ्जनान्ता: पुल्लिङ्गाः किं कः॥३०४॥ किंशब्द: को भवति विभक्तौ परतः। कः। कौ। के। कं। कौ। कान् / केन। काभ्यां। कैः / इत्यादि / इदम् शब्दस्य तु भेदः।। इदमियमयं पुंसि // 305 // इदम् शब्दस्य इयं भवति स्त्रियामयं पुंसि इदं च नपुंसके सौ परे / अयम् / अन्यत्र त्यदाद्यत्वम् / दोऽद्वेर्मः // 306 // त्यदादीनां दकारस्य मो भवति अद्वेर्विभक्तौ / इमौ / इमे / इमं / इमौ / इमान् / टौसोरनः॥३०७॥ अग्वर्जितस्य इदंशब्दस्य अनादेशो भवति टौसो: परत:। अनेन / कम् केषाम् केभ्यः अष्टौ अष्टाभ्यः अष्ट / अष्टभ्यः अष्टौ अष्टानाम् अष्ट अष्टानाम् अष्टाभिः. अष्टासु अष्टभिः अष्टसु अष्टाभ्यः अष्टभ्यः इस प्रकार से नकारांत शब्द हुए। प फ ब और भकारांत शब्द अप्रसिद्ध हैं। अब मकारांत पुल्लिग किम् शब्द है। किम् +सि पुल्लिंग में विभक्तियों के आने पर किम् को 'क' आदेश होता है // 304 // अब 'क' शब्द से सारी विभक्तियाँ आने पर सर्वनाम के समान रूप चलेंगे। यथा कस्मात् काभ्याम् केभ्यः कान् कस्य कयोः केन काभ्याम् कस्मिन् कयोः कस्मै काभ्याम् * इदम् शब्द में कुछ भेद है। इदम् शब्द को पुल्लिंग में 'अयं' स्त्रीलिंग में ‘इयम्' और नपुंसक लिंग में 'इदम्' आदेश होता है // 305 // अत: इदम् + सि, सि का लोप होकर इदम् को 'अयम्' आदेश हुआ। 'अयम्' बना। इदम् + औ “त्यदादीनाम् विभक्तौ” से अकारांत होकर 'इद' बना। इद + औ। द्वि शब्द को छोड़कर विभक्तियों के आने पर त्यदादि गण के दकार को मकार होता है // 306 // इम + औ = इमौ, इम + जस् “ज: सर्व इ:” से इ होकर इम+इ= इमे इत्यादि / इदम्+टा। टा और ओस् के आने पर अग् वर्जित इदम् शब्द को अन आदेश हो जाता है // 307 // पुन: ‘इन टा' इस १३८वें सूत्र से टा को 'इन' आदेश होकर अन+ इन = अनेन / इदम् + भ्याम्।