________________ गवाक्षो जालकश्चात्र कोष्टक-द्वितवं नरे। : स्त्रियांमत्रिः पुमान् कोणः स्त्रीपुंसयोरणिः स्मृतः // 57 // कोटिपालिश्च स्त्रीलिंगेऽप्यस्रः स्तम्भस्तु मानवे / . सोपानारोहण क्लोबे निःश्रेणिः प्रमुखाः स्त्रियाम् // 58 // नन्द्यावर्तादयः ' पुसि स्त्रियां पेटा-चतुष्टयम् / द्वयोः बहुकरी नार्या वर्द्धनी च समूहनी // 59 // संगराऽवकरो 'सि क्लीबे' चोदूंखलादिकम् / अवधातश्च पुल्लिंगे कण्डनं क्लीबलिंगकम् // 60 // कटस्त्रिषु तथाऽयोऽयं मुसलः पिटमस्त्रियाम् / के परे पिटकोऽप्यस्त्री चालनी क्लीषयोषितोः // 61 // तितउ शूर्पशब्दोऽपि प्रस्फोटनमयोषिति / स्त्रीलिंगे चान्तिका चुल्ली स्यात्क्लीबेऽस्मंतक-द्वयम् // 62 // स्त्रीक्लीबवाचिंनी स्थाली स्त्रियामुखा निवेदिता / त्रिषु स्यात् 'पिठरं कुण्डं चरः पुल्लिंगवाचकः // 63 // पुस्त्रियोश्च घट: कुम्भः कुटः करीरमस्त्रियाम् / ' कलसः कलशश्चापि त्रिलिंगे निपमस्त्रियाम् // 64 // हसन्यंगारधानी चांगारपात्री हसन्तिका / अंगारशकटी चैते पञ्च स्त्रीलिंगविश्रुताः // 65 // भवेद् भ्राष्ट्रीऽम्बरीषश्च स्वमते नरषण्ढयोः / .. क्लीबे स्वादम्बरीषं च पुंल्लिगे भ्राष्ट्र एव हि // 66 // ऋचीर्ष ऋजीर्ष क्लीबे कम्बिर्दर्वि-दिकं स्त्रियाम् / तर्दू नाऽऽलूगलन्ती च योषायां करकोऽस्त्रियाम् // 67 // स्त्रीलिंगे कर्करी नालिकेरज-द्वितयं नरे।। स्यात्कटाहस्त्रिषु प्रख्यः क्लीबे वा पुंसि कर्परः // 68 // मणिकोऽलिंजरीऽप्यरस्त्री गगरी कलशी पुनः / कलशी मन्थनी चैते स्त्रीलिंगे कीर्तिता इह // 69 // वैशाखः खजको मन्था मन्थानो मन्थदण्डकः / मन्थः क्षुब्धोऽस्य विष्कंभो मजीरः कुटरोऽपि च // 70 // शालाजीरो नरे / चात्र वर्धमानः शरावकः / चषकः कसमस्त्रीत्वे के परे वर्धमानकम् // 7 //