________________ क्षयो ना शरणागारे ह्यागारं च नपुंसके / .... धाम धाम पुनः क्लीबे कुट्टिम पुनपुंसके // 42 // चतुःशाल-द्विकं क्लीबे चतुःशाली अथवा स्त्रियाम् / पुंवलीबे कूलकः सौध स्यात् स्त्र्युपकारिका द्वयी // 43 // प्रासादः पुंसि हर्म स्यात् क्लीवे त्रिषु मढः पुनः / आवसथ्यं भवेत् क्लीबे पुमानावसथः किल // 44 // पर्णशाला स्त्रियां क्लीबे चैत्यं च जिनसमनि / उटजोऽपि विहारस्तु कोशो गुजो (गुच्छा) ऽस्त्रियामिह // 45 // आथर्वणं तथाऽऽस्थानमरिष्टं च महानसम् / चतुरं क्लीबलिंगेऽमी स्त्रीलिंगे मन्दुरादयः // 46 / / आश्रमः पक्ववश्चापि कुटीरं नसके / ,प्रपा गजा निषद्या च स्त्रियामद्रोऽस्त्रियामपि // 47 // हट्टस्तथाऽऽपणः पुंसि हट्टेऽर्थे विपणिः स्त्रियाम् / अस्त्रियां मण्डपः स्तूपः कुडयं क्लीबेऽथवा नरि // 48 // एडूक वैडूक क्लीबे भित्तिदि-द्विक स्त्रियाम् / अजिरं प्रांगणं क्लीवे तथैव चत्वर-त्रिकम् // 49 // द्वाः स्त्रियां पण्डके द्वार प्रतीहर-द्वयं नरे / त्रिष्वर्गलाऽर्गलमस्त्री स्त्रीवलीबयो परोऽर्गलम् // 50 // अर्गलिका तथा सूर्चा कुञ्चिका-त्रितयं स्त्रियाम् / ना कुटस्तालकं क्लीबे स्त्रीपुंसयोश्च ताल्यपि // 51 // क्लीबेऽऽररमुत्तरंगमररी स्त्री तु पञ्जिका / कपाटश्च कवाटोऽपि त्रिषु पुमान कुवाटकः // 52 // अररिस्तोरणं वाऽस्त्री स्त्रियां वंदनमालिका। गोपानसी शिला नासा गृहावग्रहणी-द्वयम् // 53 // . पुंस्युम्बरादयो वाच्या अलिंदोप्यस्त्रियां मतः / स्त्रियां कपोतपाली स्पात विटंकः पुनपुंसके // 54 // पटलस्त्रिषु संदिष्टः छदिर्नीवं नपुंसके / वलीकमिन्द्रकोशोऽस्त्री पुल्लिगे मंगकः पुनः // 55 // . थोषायां वलभी प्रख्या नागदन्तादयो नरि / / अस्त्रीलिंगेऽपि प्रग्रीवो बातायनस्तथैव हि // 56 //