________________ क्लीबे साकेतमाख्यातं स्त्रीलिंगे कोसलादयः / पुष्पकरण्डकं चास्त्री स्त्रियां पुष्पकरण्डिनी // 27 // निषधान्ता इतः केचित क्लीबे पुंसि स्त्रियामपि / प्राकारो वरणः शालः सालो वाऽपि चयो नरि // 28 // प्राकाराग्रं कपिशीर्ष क्लीबे पार-गोपुरे / स्त्रियां रथ्या प्रतोली व विशिखाऽपि मिथो भवेत् // 29 // वोऽट्टः क्षोममेते च परिकूटं नृषण्ढयोः / हस्तिनखो नरे वाटस्त्रिषु कनिच (?) वाटिका // 30 // क्लीबे प्राचीनभाख्यातमावेष्टको नरे पुनः / . स्त्रियां वृत्तिः पदव्येकपदी पथा च पद्धतिः // 31 // स्यातां वायने क्लीबे वर्तनिः सरणि: स्त्रियाम् / . मागोऽध्वा निगमः पन्थाः पुंल्लिगेऽथ सृतिः स्त्रियाम् // 32 // सत्पथस्तु सुपन्थाश्चातिपन्था अपथा नरि।। अपथम् विपथं वलीबे, क्लीबे वा पुसि कापथम् // 33 // प्रान्तरं क्लीबलिंगे स्यात् कांतारः प्रवणोऽस्त्रियाम् / सुरंगा सन्धिला नार्या सन्धिरपि नरे. भवेत् // 34 // / चतुष्यथं तु संस्थानं चतुष्कं त्रिपथं त्रिकम् / / द्विपथं क्लीबलिंगेना घण्टापथश्च श्रीपथः // 35 // उपनिष्क्रमणं चोपनिष्करं च नपुंसके / .... . विपणिः पुंसि वा नायाँ स्थानं तु पुनपुंसके // 36 // . क्लीवे. पदं च शृङ्गाट बहुमागों नरे मतः / स्युश्चत्वरादयः षण्ढे निकेतं वास्तुरस्त्रियाम् // 37 // गेहं गृहं च पुग्लीबे भूम्नि गृहा गृहाणि वा / वेश्म-निकेतने सम क्लीबे,, नपुंसि मंदिरम्॥ 38 // सासनं सदनं क्लीबे भवनं पुनपुंसके / पुस्त्रियोश्च कुटो धाम्नि निलयस्त्वालयः पुमान् // 39 // स्त्रियां शाला समा क्लीवे भवेदवसितं त्रयम् / . आवसथो नरे पस्त्यं पक्षे वत्स्यं नपुंसके // 40 // . संस्ताय-आश्रयाऽऽवास-निवासाश्च नरे स्मृताः / ओकश्चीको नरे क्लीवे दन्तो ना वसतिः लियाम् // 41 //