________________ [31 मंडलं त्रिषु देशार्थमार्यावर्तो नरे पुनः / ... पुण्यभू-र्जन्मभूमिस्त्वन्तर्वेदिश्च समस्थली // 12 // ब्रह्मवेदिः स्त्रियामेते ब्रह्मावर्ती नरे स्मृतः / धर्मक्षेत्रं कुरुक्षेत्रं क्लीबेऽथ मध्यमः पुमान् // 13 // प्राच्योदीच्यौ च प्रत्यन्तः पाण्डुभूमश्च सर्वदा / उदभूमः कृष्णभूमः पाण्डुमृत्तिक एव च // 14 // स्यादुदङ्मृत्तिकश्चापि कृष्णमृत्तिकसंयुतः / सजलो निर्जलश्चैते पुंल्लिगे कच्छमस्त्रियाम् // 15 // वाच्यलिंगा अनूपाद्याः स्युर्देवमातृकान्तकाः / प्राग्ज्योतिषादयः पुंसि भूम्नि च देशवाचिनः // 16 // पुंसि ग्रामादयो ज्ञेया अवसानं नपुंसकम् / .. * नान्ता सीमा स्त्रियां तूपशल्यं मालं नृ-पंडयोः // 17 // परिसरश्च कर्मान्तः पुल्लिगे कर्मभूः स्त्रियाम् / गोष्ठं क्लीबेऽथवा पुंसि गोष्ठीनं स्यानपुंसके // 18 // आशितं त्रिषु सन्दिष्टं गवीनं क्लीबलिंगके / अस्त्रियां वप्रकेदारौ पुल्लिगे सेतुरेव च // 19 // . स्त्रीलिंगे पालिरालिश्च संवरश्च पुमानिह / शाकक्षेत्रादयः क्लीबे द्रोणिकाद्या नरे स्त्रियाम् // 20 // खलधानं भवेत् क्लीबे खलं त्रिषु पुनर्मतम् / चूर्णमस्त्री पुमान क्षोदो दन्तः सान्तं रजोऽस्त्रियाम् // 21 // स्त्रियां धूलिः नरे पांशुस्त्रिषु रेणुः निवेदितः / लोष्टोऽस्त्रियां नरे लोष्टुः लेष्टुश्च स्याद् दलिः स्त्रियाम् // 22 // अस्त्रीलिंगेऽपि वल्मीको बभ्रीकूटं च सर्वदा / " वामलूरो नरे नाकुः क्लीबे शत्रशिरो मतम् // 23 // स्त्रीक्लीबे नगरी पूः स्त्री पूरी त्रिष्वथवा पुरिः / / दंगोद्गश्च वा पुंसि पण्डके पत्तनादिकम् // 24 // ना निगमोऽस्त्रियां खेटः स्त्रीक्लीबे राजधान्यपि / . अस्त्रियां कोट्टदुर्गे द्वे कटं कटकोऽस्त्रियाम् // 25 // गया स्त्रियां कान्यकुब्जं कन्यकुब्जं महोदयम् / स्त्रीक्लीबयोस्त्रयश्वामी स्त्रियां काशि-चतुष्टयी // 26 // .