________________ 28] प्रतिभू प्रमुखा विस्त-सुवर्णों पुंस्यमीरिताः / मापकः पल-कषौ द्वौ कार्षापणाचितावपि // 264 // प्रस्थः द्रोणोऽस्त्रियामेते त्रिवाढकस्तुः कीर्तितः / पुंक्लीद-सूचको दण्डः क्लीवे गव्यूत-गोरुते // 265 // गन्यूति: पुस्त्रियोः क्लीबे योजनं पाशुपाल्यकम् / गोमान गोम्यादयः पुंसि जित्या हलिस्तु पुत्रियोः // 266 // सीरो हलं च पुंक्लीवे गोदारणं नपुंसके / ईषा सीता स्त्रियां दात्रे लविस्तु पुस्त्रियोरपि // 267 // पुंसि वण्टश्च कुद्दालः कश्चित्कुद्दालमस्त्रियाम् / खनित्रं क्लीबलिंगेऽपि पुंसि प्रतोद एव च // 268 // क्लीबे प्रवषणाद्याश्च कोटीशः कोटिशः मरे / मेधिर्भेथिस्तु पुनार्योः खलं नपुंसके मतम् // 269 // इतस्तु सूतपर्यन्ता कारुश्च पुंसि कीर्तिताः / प्रकृतिः स्त्री पुमान् शिल्पी पुस्त्रियोः श्रेणिरेव च // 270 // मालाकार-त्रिकं पुंसि पुष्पलावी स्त्रियामिह / . कल्यपालादयः पुंसि मद्यं कश्यं नपुंसके // 271 // मदिष्ठा मदिरा युग्म परिनुच्च स्त्रियां मताः। .. अवीचि पुस्त्रियोरस्त्री मधु गन्धोत्तमा स्त्रियाम् // 272 // कल्यं कादम्बरी चैतौ स्त्रीक्लीबयोरुदीरिती / इरा परिप्लुता स्वादुरसा हलिप्रिया स्त्रियाम् // 273 / / पुत्रियोःशुण्डिका गुण्डा मैरयः शीधुरस्त्रियाम् / हारहूरं च माध्वीकं क्लीबे हालादयः स्त्रियाम् // 274 // क्लीबे कापीश-किण्वैव नग्नहु-नग्नहरि ।चषकः सरकश्चास्त्री सरकस्त्रिषु वा मतः // 275 // स्त्रियां सपीतिरापानं चक्षणं च नपुंसके / उपदंशादयः पुंसि भूषा भस्रा स्त्रियामपि // 276 // चर्मप्रवेशिका षण्ढेऽप्वास्फोटनी-द्वयं स्त्रियाम् / पुस्त्रियोः निकष शाणः पुंसि निकषपंचकम् // 277 // कुन्दमस्त्री वैकटिको मणिकारादयो नरे / सूचिका कत्तरीं चैवं [कर्तरिश्चैव] कृपाणी कल्पनी पुनः // 278 //