________________ शम्या धूश्च स्त्रियामस्त्री वरूथोऽपस्करः पुमान् / अस्त्रियां पुंसि वा प्रेसो वान वैनीतकोऽस्त्रियाम // 20 // स्याद युग्यपञ्चकं पलीबे पत्रं पुलीचवाचकम् / / . नियन्ता प्राजिता यन्ता सृतादयश्च मानवे // 205 // : विष्वामुक्तादयो वर्म कवचं पुनपुसके / ... काङ्कटो जगरो देश पुंसि माढिस्तु घोषिति // 206 // .. उरच्छदः त्रिकं पुसि वारवाणस्तु कन्चुकः / / अधिकाङ्गमिमेऽस्त्रीत्वे क्लीवे 'सारसनादयः // 207 // जालिका-त्रितयं मार्गमायुधीवादयो नरि / ....... अस्त्रियामायुधं हेतिः 'स्त्रियां शस्त्रं नृवर्जितम् // 20 // षण्ढे प्रहरणं चास्त्रं सांतं धनुरयोषिति / / उदन्तो धनुरप्पस्त्री "धम्ब क्लीबे धमूः स्त्रियाम् // 209 // चापश्चेष्वास-कोदण्ड-लस्तकासा नृषण्ढयोः / / .:... द्रुणो नरि स्त्रियामतिरटनि रटनीत्यपि // 21 // अग्रं बाणालनं क्लीबे मौ: जीव तु शिञ्जिनी / ' :. शिज्जा तथा दुणा नार्या गव्याः योषिमपुंसके / // 11 // गुणः पुंसि स्त्रियां ज्या च गोधा क्लीवे युमस्तलम् / वैशाखमखियां कश्चिदालीढादिनपुंसके // 212 // ..... ... क्लीबे वेध्यं तथा लक्षं लक्ष्यं शरव्यकं पुनः / / ... वैजयन्ती तु वेध्यं च शरव्यं स्त्रीनपुंसके // 213 // : .. बाणकाण्डौ नरक्लीवे त्रिविषुश्च शरोऽस्त्रियाम् / / / :. पुंस्यन्ये बाणपर्यावास्तभेदाः स्युश्च रूढितः / / 217 // निरस्तो दिग्धलिप्ती द्वौः केतु-दिग्धकालिप्सको / . त्रिज्वमी, पक्ष-वाजी'च पुसि पुकोऽस्त्रिपामिह // 2151 तूणस्त्रिषु निषङ्गाद्याः। पुंख्यिाधुधिश्च पुस्त्रियोः / / .. शरधि-प्रमुखाः खुसि ऋष्टिरिष्टी च पुखियोः // 216 // त्सरुः किं तु पुंल्लिगे कोशनिलिंगवाचकः / / " खड्गपिधानक नूममड्डमें चर्म पण्डके // 217 // ... फलक सेटकं चास्त्री 'पण्डे वावरणं मतम् / / .... फलकस्यापि मुष्टिश्च खीलिंगे कथिताः खलुः // 218.... .