________________ [23 प्रधानं पुसि वा क्लीवे पौरोगवादयस्त्रिषु / भौरिकः कनकाध्यक्षादयः पुंसि निवेदिताः // 189 // / अस्त्रियां शुल्कशुद्धान्तौ क्लीवेऽन्तपुर-यामलम् / .. , अवरोधादयः पुंसि तत्र वैरं नपुंसके // 190 // ...... . सहचरो द्वयोः क्लीबे मित्रं सख्यादयः पुनः / त्रिषु प्रत्पयितः क्लीबे साम सांत्वनमेव च // 191 // दंडस्तु साहसं चास्त्री क्लीबे प्राभृत-ढौकने / :.. दयो लैंचाऽऽमिषोऽस्त्रित्वे स्थादुपदा स्त्रियामपि // 192 // उपचारोपहारौ द्वौ पुंसि क्लीबेऽपरत्रयम् / , स्त्र्युपधाऽप्यषडक्षीणं रहच्छन्नं नपुंसके // 193 // उपहवरं नरक्लीबे विविक्तादिनपुंसके। .. कल्पाभ्रेषौ नयः पुंसि न्यायादयो नव त्रिषु // 194 // अधिकारो भवेत्युंसि प्रक्रिया-पञ्चकं स्त्रियाम् / पुंस्यपराधमन्तु द्वौ व्यलीकं पुनपुंसके // 195 // . आगस्तु विप्रियं क्लीबे भागधेयो बलिद्वयोः / करो नरेऽस्त्रियां कश्चित् द्विपाधो द्विगुणस्त्रिषु // 196 // वाहिनी-त्रितयं स्त्रीत्वे बलं सैन्यं नपुंसके / .. अस्त्रियां कटकं दण्डोऽनीकं चक्रं चमूः स्त्रियाम् // 197 // स्यात्क्लीबे शिबिरं न्यूह-चतुष्टयं नरे स्मृतम् / .. गुल्मोऽस्त्री वाहिनी सेना पृतना च चमूः स्त्रियाम् // 198 // अक्षौहिणी तथा क्लीबे सज्जन तूपरक्षणम् / केतुर्ना वैजयंतीह पताका योषिति. स्मृता // 129 // ... केतनं तु ध्वजोऽस्त्रीत्वे रथः स्यात् पुत्रियोरपि / ... अनः क्लीवे स्त्रियां गन्त्री त्रिलिंगे शकटः पुनः॥ 20 // कम्बलि-वाह्यकं चास्त्री द्वैपौ वैयाघ्र एव च / ... स पांडुकंबलीयश्च वास्त्रोऽप्यमी त्रिषु स्मृता // 201 // अरि क्लीबेऽस्त्रियां चक्रं धारा स्त्रियां द्वयोः प्रथिः / नेमिर्नाभिस्तु स्त्रीलिंगे वणिराणिस्तु पुत्रियोः // .202 // युगंधरं कूबरं स्याद् युगं नरनपुंसके / . .. .. युगकीलक-प्रासङ्गावनुकों नरि त्रयः // 203 // ..