________________ अंगदं पुसि वा क्लीबे पण्डके 'करभूषणम् / कटको वलयं पारिहार्यावापौ च कंकणम् / / 159 // हस्तसूत्रं प्रतिसरो बालक पुनपुंसके। * / ...... त्रिषु प्रतिसरं केचिदूर्मिका पुस्त्रियोरपि // 160 // ... क्लीबेऽङ्गलीयकं कश्चित्' पुंस्यंगुलीयकं तथा / / स्त्रीक्लीबे रसना सा रसनं नपुंसके 'किल // 161 // त्रिलिंगे. श्रृंखलंकांची सप्तकी किंकिणी स्त्रियाम् / / 'तुलाकोटिर्नरे पादकटको नूपुरं पुनः // 162 // : मंजीरं हंसक वस्त्रमेते पुक्लीबवाचिनः / ..... अंशुकांबरचेलानि षण्ढे वसन-वाससी // 163 // '', ना सिचयः स्त्रियां सिक् च पटस्त्रिलिंगसूचकः / / / प्रोतः पुंस्पथवा क्लीबे स्यादञ्चलोऽस्त्रियां पुनः // 164 // पुंस्त्रियो वर्ति-वस्ती च भूम्नि दशास्तु पुस्त्रियोः / / पत्रोर्ण धौतकौशेयं क्लीबे तूष्णीषमस्त्रियाम् // 165 // क्षौमं पुंक्लीबलिंगेऽपि शौमी स्त्रियां परस्त्रिषु / / क्लीबे दुकूलमुख्याश्च कम्बलः' पुस्त्रियोर्मतः // 166 // . नोर्णायुराविकारभरल्लका अप्यनाहतम् / ' तंत्रक निष्प्रवाणीह' वाच्यलिंगा उदीरिताः॥१७॥ द्वौ प्रावारोत्तरासंगौ पुंसि बृहतीका स्त्रियाम् / प्रावारः पंडके कश्चित् चराशिः पुंसि सम्मतः // 168 // स्थूलशाटो भवेत्पुंसि त्रिलिंगे स्थूलशाटकः / / " प्रच्छादनादयः क्लीबे नीवी स्त्री तूच्चयो नरि // 169 // चण्डातकं तु पुंक्लीबे चलनी तु स्त्रियामपि / ' ! पुंसि चलनकश्चोलः कंचुलिकांगिका स्त्रियाम् // 17 // कूर्पासिकोऽस्त्रियां कश्चित् कंचुकः पुनपुंसके / . " शाटी चोटी तु कच्छाटी स्त्रीपुंसयोरमी त्रयः // 171 // ' त्रिषु कक्षापटः 'क्लीबे कौपीनं कर्पटोऽस्त्रियाम् / / .. निचोलो निचुलः पुंसि नक्तकोऽपि 'पुमानथ // 172 // शयोत्तरपटस्यार्थे / प्रच्छदस्तूत्तरच्छदः / .. पुंक्लीबयोरुभावाप्रपदामं त्रिषु सम्मतम् / / 173 // ", "