________________ क्लीबे मेदोऽस्त्रियां गोदं मस्तिष्कः पुनपुंसके / अस्थि क्लीबेऽस्त्रियां कुल्यं मेदस्तेजो नपुंसकम् // 129 // मेदोजं कीकसं षण्ढे करोटिरंगना पुनः / कर्परो ना कपालोऽस्त्री स्त्रीक्लीबयोः कशेरुका // 130 // . वक्रिः स्त्रियां करको ना कंकालं नपुंसके / नान्तो मज्जा भवेत्पुंसि टापि मज्जा पुनः स्त्रियाम् // 131 // क्लीबे शुक्रादयो रोम लोम-तनूरुहेऽस्त्रियाम् / त्वक् छविः स्त्री त्वचः पुंसि त्वपर्यायप्रवाचकः // 132 // त्वचमेके स्नसादिः स्त्री स्नायुः क्लीबेऽथवा स्त्रियाम् / अस्त्रीलिंगे मलं किट्ट दूषीका दूषिका स्त्रियाम् // 133 // जैवं तु कुलुकं दंत्यं कार्ण पुन. नपुंसके / . * स्त्री पिप्पिका तु पिञ्जूषः शिंधाणः पुंसि सम्मत // 134 // सृणिका स्पंदिनी लाला स्त्रीलिंगे कफकूचिका / / .. मूत्रं बस्ति मलं क्लीबे विद विष्ठा पुष्पिका स्त्रियाम् // 135 // पुल्लिगेऽवस्करोच्चारौ शकृत-त्रिकं नपुंसकम् / ' अस्त्रियां गूथवर्चस्के क्लीबे वर्ची मतं पुनः // 136 / / वेषोऽस्त्री पुंसि वाऽऽकल्पो नेपथ्यपरिकर्मणी / उदवर्तन-द्विकं क्लीबे रंगरागो भवेनरि // 137 // चर्चिक्यं पंचकं क्लीबे चर्चा-चतुष्टयं स्त्रियाम् / .. चूर्णोऽस्त्री नरि पिष्टातः क्लीबेऽधिवासनं पुनः // 138 // निर्वेशश्चापलः पुंसि स्नान-द्विकं नपुंसके / वर्ति-द्वयं स्त्रियों क्लीबे राजाह कृमिजं पुनः // 139 // अगुवंगरुलोहानि पुंक्लीबेऽभिमतान्यपि / / / स्याद् वंशिकाऽबला षण्ढे क्लीबेऽनार्यज-जोंगके // 140 // स्त्री मंगल्याऽथ पुंल्लिगे कालागुरु-चतुष्टयम् / . . मलयजश्च श्रीखंड चंदनं हरिचंदनम् // 141 // / चत्वारोऽमी नरे क्लीबे, क्लीबे पत्रांगपंचकम् / तैलपर्णिक-गोशीषौं पुंल्लिगे वा नपुंसके // 142 // स्यात् तिलपर्णिका नार्या जातिकोशो नरे मतः / / क्लीवे जातिफलं चन्द्रः कर्पूरः पुनपुंसके // 143 //