________________ 18] कालखंड कालखंज काले कालके यकृत् / क्लोम क्लीबे द्वयोः प्लीहा गुल्मोंत्र-द्विकमस्त्रियाम् // 114 // पक्षेऽन्त्रम् पुरीतत् क्लीबे नाभिर्बस्तिस्तु पुस्त्रियोः / मध्योवलग्नं विलग्नं मध्यमश्चास्त्रियामिमे // 115 // स्त्रीपुंसयोः कटः श्रोणिः स्त्रियाम् कटी ककुमती / / .. कलत्रं कटीरं कांचीपदं चैते नपुंसके // 116 // पुस्याराहो नितम्बस्तु क्लीबेऽपि जघनत्रिकम् / / .. पंडे कुकुन्दरे कश्चिन् नरे पुतौ नृपंढयोः // 117 // स्त्रियां स्फिचौ स्फिजौ षंढे कटिप्रोथौ तु मानचे / वरांगं क्लीबलिंगेऽपि च्युतिर्बुलिः स्त्रियामपि // 118 // भगष्टंकोऽस्त्रियामेतौ पुस्त्रियो योनिरित्यपि / . मेहनं सान्सशेफस्तु षंढे 'शेपः पुनर्नरि // 119 // लिंग क्लीबेऽस्त्रियां शिश्नं मेद्रं कामलता स्त्रियाम् / ' उपस्थः पुंसि वा क्लीवे गुह्यद्विकं नपुंसके // 120 // मणिः द्वयोर्गुल: पुसि स्त्रीलिंगे सीवनी स्त्रियाम् / क्लीबेऽप्यंडत्रिकं चात्र कश्चित् पुंस्त्रंडकः पुमान् // 121 // मुष्कस्तु वृषणश्चैतौ गुदं नरनपुंसके। क्लीबेऽपानं नरे पायुयुतिर्बुलिश्च बोषिति // 122: // अधोमर्मादयो मुष्क-वंक्षणं च नपुंसके / .... उरुसंधि-द्विकं पुंसि सक्थि क्लीबमुरुद्वयोः // 123 // अस्त्रियां जातुरष्ठीवान् गुल्फस्तु घुण्टको घुट: / . घुण्टिकः पुंस्त्रियोरेते पुंक्लीबे चरणः पदः // 124 // . अंदिरंघ्रिः क्रमः पादः क्रमणश्चलनो नरि। .. पार्णिद्वयोश्च पादाग्रं प्रपदं तु नपुंसके // 125 // कूर्चमस्त्री नरे पिप्लुर्जडुलस्तिलकालकः / तिलकः कालकश्चापि धातवः पुंसि विश्रुताः / / 126 // सप्तदश त्रिषु क्लीवेऽप्यसृगाहारतेजसि / लोहितं जंगलं मांसमामिषं पलमस्त्रियाम् // 127 // नान्तो बुक्का नरे कश्चिनपुंसके स्त्रियामिह / .. स्त्री यूक्का वाऽस्त्रियां शुष्कं वल्लूरै स्यात् त्रिलिंगके // 128 // .