________________ हनुः स्त्रीपुंसयोरास्प-लोम-श्मश्रु नपुंसके / कू!ऽस्त्री मासुरीमुख्याः स्त्रियां जम्भादयो नरि // 99 // रसज्ञा-त्रितयं नार्या रसना स्त्रीनपुंसके / तालु तु काकुदं क्लीबे सुधास्रवा-चतुष्टयी // 10 // कंधरा धमनिीवा शिरोधिश्च शिरोधरा / कंबुग्रीवा त्विमे नार्यामवटुः पुंस्त्रियोरिह // 101 // कृकस्तु-वीतनौ पुंसि स्त्रियामन्ये कलम्बिके / गलो निगरणः पुंसि कंठास्त्रिष्वंसमस्त्रियाम् // 102 // क्लीबे भुजशिरो जत्रु भुजो बाहस्तु पुस्त्रियोः / अस्त्रियां दोः प्रवेष्टा स्त्री दोषा वाहा स्त्रियां नरि // 103 // स्थाद् भुजकोटरोऽस्त्रीत्वे कक्षा स्त्रीपुंसवाचिनी / पार्श्वमस्त्री कफोणिस्तु कफणिः पुंस्त्रियावुभौ // 104 // कूर्पस्तु प्रकोष्ठश्च प्रगंडोऽपि शयः शमः / पंचशाखस्तथा पाणिरेते पुसि निवेदिताः // 105 // हस्तोऽनलोऽस्त्रियां किष्फुर्मणिश्च पुस्त्रियोमिथः / ना करभोऽङ्गलोंगुष्ठः करशाखादयः स्त्रियाम् // 106 // कामांकुशो नखोऽस्त्रीत्वे त्रिलिंगे नखरः पुनः / वितस्तिस्तु चपेटोऽपि मुष्टिर्मुस्तुश्च पुस्त्रियोः // 107 // मुचुटी प्रसूति र्या-मञ्जलिस्तु चलुनरि। . गण्डूषश्चलुको रनिररनिः पुंत्रियोरिमे // 108 // व्याम-व्यायाम-न्यग्रोधा. पुल्लिगे पौरुषं त्रिषु / दन-द्वय-समात्रान्ताः प्रायः संति नपुंसके // 109 // तद्वति त्रिषु ते प्रख्याः सपाटी पुस्त्रियोरपि / / रीढकः पृष्ठवंशोऽङ्कः क्रोड उत्संग इत्यपि // 110 // पूर्वभाग उपस्थश्च पुंसि क्रोडाऽनरेप्सिता / उरो वक्षः हृद् ह्झयं क्लीबे वत्सोऽस्त्रियां खलु // 111 // स्तनौ कुचावरोजौ च कुचौ पयोधरौ नरे / पुंक्लीबे चूचुकं तुन्दं क्लीबे तुन्दिः स्त्रियामपि // 112 // गर्भकुक्षी नरि ख्याती जठरं पुनपुंसके / आह कुक्षिः खियां गौडः क्लीबेऽथवोदरं त्रिषु // 113 //