________________ पितरौ च तथा मातापितरौ श्वशुरावपि / मातरपित्रौ पुत्रौ श्वशुरौ भ्रातराविह // 84 // पुल्लिगेऽमी श्रुताः कोषे द्विवचन-निवेदिनः / स्वो ज्ञातिः स्वजनो बन्धुः सगोत्रश्च नरे मताः // 85 // . निजात्मीयः स्वकीयः स्वः त्रिषु पन्ड-द्विक नरि / क्लीबो नपुंसकोऽस्त्रीत्वे तृतीया प्रकृतिः स्त्रियाम् // 86 // स्त्रियां तनुस्तनूप॑तिः कायस्तु पुदगलो नरि / वेरं देहस्तथा पिण्डः शरीरं कुणपं शवः // 87 // कबंधश्चास्त्रियामते शेषा शरीरवाचिनः / पुंसि क्लीबे च विज्ञेयाः प्रायाः पुंसि दशाः द्वयोः // 88 // सामुद्रं क्लीबलिंगे वा प्रतीकांगादिकं नरि / प्रतिकूले प्रतीकस्तु त्रिषु मूर्धा नरेऽपि च // 89 // . उत्तमांगं शिरः क्लीबे मौलिस्तु पुस्त्रियोरपि / क्लीबे कचवरांगादिः पुंक्लीबे मुंडमस्तके // 9 // बाला अलकशब्दश्च भ्रमरकोऽस्त्रियाममी / अन्ये पुंसि विनिर्दिष्टाः सभेदाः केशवाचिनः // 91 // स्यात्कबरीत्रिकं नार्या तुंडमास्यं नपुंसके। .. अस्त्रियां पलितं वक्त्रं मुखं भालमिमे मताः // 92 // पुसि गोधिः स्त्रियां कश्चिदलिकादिर्नपुंसके। स्त्रियां श्रुतिः श्रवः क्लीबे पैंजूषस्तु श्रवोऽस्त्रियाम् // 93 // श्रोत्रं क्लीबे नरे कर्णः श्रवणं पुनपुंसके / स्त्री कर्णशष्कुली पालि वारुण्डः शस्त्रमस्त्रियाम् // 94 // चक्षुरक्षीक्षणं क्लीबे नेत्रं पुंक्लीवभाषकम् / स्त्रियां हगदृष्टिराख्याता तारके तारकाद्वयोः // 15 // नयनप्रमुखाः क्लीबे पुल्लिगे काक्षपंचकम् / स्त्रियां भ्रूश्चभ्रकुटाद्या कूर्प नपुंसके मतम् // 96 // कूर्च पक्ष्माऽस्त्रियां नूनं गंधज्ञा-पंचकं स्त्रियाम् / .. क्लीबे घ्राणं पुनर्नकं नक्रो वाचस्पतिर्नरे // 97 // ओष्ठोऽधरश्च पुल्लिगेऽस्त्रियां रदच्छदद्वयम् / सृक्कणी चिबुकं क्लीवे पुंसि गल्लचतुष्टयम् // 98 //