________________ त्रिषुच्छेकः पटुर्दक्षेऽभिशेऽथ चतुरादयः / सूरतान्ता नरि क्लीवे स्त्रियां वा केचन त्रिषु // 9 // मूल् मंदश्च मूढाद्याः लक्ष्मीवान् लक्ष्मणादयः / दरिद्राद्याखिषु प्रोक्तास्तद्वति चान्यथा नरि // 10 // अस्त्रियां व्यंगटः शूकः कारुण्यं तु नपुंसके / त्रियां दयादयः पञ्चानुक्रोशप्रमुखा नरि // 11 // प्रमयः कदनं चोभौ प्रमापणमयोषिति / व्यापादनादयः शेषाः क्लीवे पुंसि स्त्रियामिह // 12 // छेदाद्याः पुंसि चत्वारः प्रमीतप्रमुखास्त्रिषु / पुल्लिंगे तदहः शब्दः स्यादौदेहिकं त्रिषु // 13 // पुंसि श्राद्धे निवापश्च चिति चित्या चिता स्त्रियाम् / ऋजुमुखास्तु पुल्लिंगे केचिच्च तद्वति त्रिषु // 14 // स्त्रियां मायाचतुष्कं स्यात् क्लीबे शाठ्यादिपंचकम् / कपटं कूटलक्षे च निभं पुंक्लीबलिंगके // 15 // पुस्युपधिर्दम्भ-त्रिकं स्त्रीलिंगे कुक्कुटि-त्रिकम् / वञ्चनादित्रयं क्लीबे व्यलकिं पुनपुंसके // 16 // सभ्यार्यसज्जनाः साधौ नीचः पिशुनसूचकौ / आश्रयलिंगिनश्चैके स्वमते पुंसि विश्रुताः // 17 // अयोषिति खलः स्तेनो द्विजिह्वप्रमुखा नरि / स्त्रीक्लीबे चौरिका ख्याता चौर्यत्रिकं नपुंसके // 18 // स्युः भविष्यादयः पुंसि केचित् त्रिषु तु तद्वति / दानकादशं क्लीवे पुंसि त्यागोऽहतिः खियाम् // 19 / / पुंसीतस्त'कान्ताश्चार्थना-षट्कं स्त्रियां मतम् / ना प्रणयः सतिनार्या वैजयंती च पुंस्यपि // 20 // सहनान्ता इतः शब्दाः पुंसि क्लीबेऽस्त्रियामपि / / तन्मध्ये त्रिषु विज्ञेयं ष्णु-प्रत्ययान्तसप्तकम् // 21 // स्त्रियां क्षमाक्षिती, क्षन्ता ईर्ष्यालुः कुहनो नरि / त्रिलिंग्याम् रोषणश्चण्डो, जिघत्स्वंता नरि खियाम् // 22 // रोचकोऽस्त्री रुचिोषित् तिर्षस्तृषिततृष्णजौ।। पिपासुश्च नरे ज्ञेयाः तृष्णाद्याः सप्त योषिति // 23 //