________________ 11] क्लीबे पानत्रिकं पुंसि भक्षको घस्मरत्रिकम् / क्लीबेऽन्धो भक्तमन्नं च स्त्रियां भिस्सा तु दीदिविः // 24 // वैजयन्त्याह पुंल्लिगेऽस्त्रियां करौदनाशनाः / सर्वरसाग्रपर्यन्ताः क्लीबे पुंसि स्त्रियां पुनः // 25 // पुंक्लीबे मण्डमाख्यातं दधिजे मस्तु षण्डके / : मस्तुर्धाना विकारे तु निःस्रावत्रितयं नरि // 26 // यवागूरुष्णिका श्राणा, विलेपी च स्त्रियाममी / स्त्री-क्लीबे तरलाख्याता सूपः सूदश्च पुंस्वपि // 27 // प्रहितं व्यजनं क्लीबे कृसर-त्रिसरौ द्वयोः / पिष्टकः स्वान्नरक्लीवे पूपोऽपूपश्च मानवे // 28 // ... सूपः पूपो स्त्रियां कश्चित् पूलिका-पञ्चकं स्त्रियाम् / .. अभ्यूषाऽभ्योष-शब्दौ द्वौ पुंसि निष्ठानमस्त्रियाम् // 29 // षण्डके तेमनं पुंसि करम्भप्रमुखा इह / चमसी तु स्त्रियां पुंसि वटकः पुनपुंसके // 30 // धाना भूम्नि स्त्रियां वाच्या बहुत्वे सक्तवो स्त्रियाम् / एकत्वे सक्तरित्याह पृथुकश्चिपिटो नरि // 31 // पुस्त्रियो भूम्नि लाजाः स्युरक्षताः पुनपुंसके / . बहुत्वे चाक्षताः पुंसि प्राहैकवचने परः // 32 // स्त्रीलिंगे समिता चैव चिक्कसो मोदकोऽस्त्रियाम् / गुडः पुंसि तथा . खंडः फाणितं पुनपुंसके // 33 // शर्कराधाः स्त्रियां यूर्ना यूषः क्षीरोऽस्त्रियामपि / स्वादूधस्यादिकं क्लीबे पेयूषः पुंसि सम्मतः // 34 // पीयूषं पण्डके कश्चित् किलाटी पुस्त्रियोः सदा / कृर्चिका कूचिका ना- पायसं घृतमस्त्रियाम् // 35 // परमानं दधि क्लीबे स्त्री औरेयी विड-गोरसे / द्रप्सत्रिकं हविषाद्याः क्लीबेऽर्धाम्ब्वसानकाः / / 36 // उदश्विच्च तथा तक्रमस्त्रीलिंगे निवेदितम् / पैठरम्बुस्तमुख्यं च प्रयस्तं तु सुसंस्कृतम् // 37 // पक्वे राद्धं च सिद्धं च भृष्टं पक्वं विनांबुना। भटित्रं च पुनः शूल्यं तथा शूलाकृतं खलु / / 38 // .