________________ स्त्रियां त्वरा त्वरिस्तूर्णिः संवेगाद्यानरि स्मृताः / पुस्त्रियोरूह-मृत्यू द्वौ निधनं मरकोऽस्त्रियाम् // 11 // दीर्घनिद्रा मृतिः संस्था मारिः स्त्रियां निमीलनम् / पञ्चत्वास्तेऽवसानं च षण्ढे कालादयो नरि // 111 // नटोऽस्त्रियां पुमानंदी स्त्रियां नान्दी विटोऽस्त्रियाम् / स्त्री वासूः पूज्यनामानि भूम्नि पादास्तु पुंस्वपि // 11 // शेषा उक्तास्तु ये शब्दास्ते प्रत्ययादिभेदतः / / लिंगान्तरेण वर्तन्ते केचिदूह्या स्वयं बुधै // 113 // इति द्वितीयकाण्डोक्तः सन्दिग्धलिंगनिर्णयः / लिखितः स्मृतये नित्यं कल्याणोदधिसूरिणा // 114 // .. ___ इति द्वितीयकाण्डोक्त लिङ्गनिर्णयः समाप्तः // 2 // * अथ तृतीयकाडोक्त लिंगनिर्णयः / अथ तृतीयकाण्डस्य सन्दिग्धलिंगनिर्णयः / लिख्यतेगुरुपादाब्ज-सेवा-कणानुभावतः // 1 // . मादयः कुमारान्ताः पुंसि स्त्रियां च केचन / शिशुस्तु कुत्रचित् क्लीबे विट् पुमान नरवाचकः // 2 // वाच्यलिंगो भवेद् बालो मूर्खे तथाऽर्भके पुनः / हीबेरकेशयोरर्थे पुनपुंसकलिंगके // 3 // शिशुत्वं शैशवं बाल्यं तारुण्यं तु नपुंसके / पुंक्लीबे यौवनं सिद्धं यौवनिका स्त्रियामपि // 4 // वयस्थाद्याश्च जानान्ता पुंसि च तद्वति त्रिषु / वार्धिकं स्थाविरं क्लीबे स्त्रीलिंगे विस्रसा जरा // 5 // वर्षीयान् दशमीज्यायान् विद्वांश्च विदुषो नरि / / स्त्रीलिंगे विदुषी विद्वत् क्लीवेऽन्वये सुधी त्रिषु // 6 // संख्यावति कविः पुंसि कवी तु कविना त्रिपाम् / प्राज्ञे कृष्टिनरि ख्यातः कृष्टिराकर्षणे स्त्रियाम् // 7 // विचक्षणादयः पुंसि ज्ञातरि च बुधस्त्रिषु / प्राशे त्रिषु प्रबुद्धस्सन् प्रवीणे कुशलस्त्रिषु // 8 //