________________ खट्वांगो मरि वा क्लीवे पिनाकं पुनपुखकम् / बाह्याद्या मातरो नार्या पुंल्लिगे प्रमथा गणाः // 66 // लधिमा चाणिमा पुसि महिमा पुनपुंसके / स्त्रीलिंगे वशिता प्राप्तिः शेषं त्रिकं नपुंसके // 67 // गौर्यादयः स्त्रियां सिद्धा हेरम्बप्रमुखा नरि / दुहिणाधास्तथा विष्णुमुख्या पुंल्लिंगवाचिनः // 68 // कंसारावत्र पुंल्लिंगः कसः पुरुषवाचकः / कसं मानविशेषे तु पुनपुंसकभाषकम् // 69 // शंखोऽपांचजन्योऽङ्गः श्रीवत्सोऽसिस्तु नंदकः / सुदर्शनः पुनश्चक्रे पुंल्लिगे कीर्तता इह // 70 // स्त्रीपुंसयोस्तु विशेयो मेरौ जंघां सुदर्शनः / वाचस्पति पुनः प्राह नरक्लीबे सुदर्शनम् // 71 // स्वमते कौस्तुभः पुंसि गौडस्तु, कौस्तुभोऽस्त्रियाम् / आनक-दुदभी रामो हल्याद्याश्च नरि स्मृताः // 72 // क्लीबलिंगेऽपि सौनंदं हलं सम्वर्तकाह्वयम् / लक्ष्मीपद्मादयो नार्या पुंल्लिगे मदनादयः // 73 // शम्बरः पुंसि वा क्लीबे रतिः स्त्रीलिंगपाचिनी / इतः प्रारभ्य पुल्लिगे स्त्रियां शब्दाः स्वरूढितः // 74 / / वाण्यां गौः पुस्त्रियोः पुंसि व्याहारो भाषितादिकम् / क्लीबे च वनिताऽऽप्तोक्ती राद्धान्तप्रमुखाः नरि // 75 // आचारांगादयो शब्दा यथाभाषितलिंगिनः / श्रुतिक्रगिह योषायाम् वेदे छन्दो नपुंसके // 76 // अभिप्राये पुमान् छन्दो यजुः साम नपुंसके / पुल्लिगे त्रिषु वाऽथर्वा स्त्रियामुपनिषद पुनः // 77 // ॐकारप्रणवौ कल्पः पुंसि शिक्षा स्मृतिः स्त्रियाम / ." षण्ढे व्याकरणाद्याश्च स्त्रियामान्वीक्षिकी-त्रिकम् // 78 / / स्त्रीपुंसयोर्मनुरत्र सूत्रं तु पुनपुंसके / आह्निकं क्लीबलिंगेऽथ निघण्टु पुसि वाऽस्त्रियाम् // 79 / / अकारान्तो निघण्टो वा प्रवल्हिकाष्टकं स्त्रियाम् / ऐतिहासं पुरावृत्तं ऐतिह्यं च नपुंसके // 80 / /