________________ दिग दिशा हरित्काष्ठाऽऽशा ककुभा ककुभः स्त्रियाम् / विशेषवाचिनी शेषाः स्त्रियां विदिक प्रदिक तथा // 51 // अपदिशं खलु क्लीबे त्रिषु दिश्यमुदाहृतम् / / अवाक् प्रभृतयः क्लीबे पुंसीन्द्राद्या गजान्तिमाः // 52 // इंद्रादयोऽपि पुल्लिगे तत्प्रिया तु स्त्रियाम् मता। पुंसि स्त्रियां जयन्ताद्या ऐरावतोऽस्त्रियामपि // 53 // स्त्रियां नान्ता सुधर्मादि नंदनं तु नपुंसकम् / स्याद्धरिचंदनोऽप्यस्त्री दीर्घर्जु तु नपुंसके // 54 // देवायुधं च पुंक्लीबे तद्वदैरावतं पुनः / पुंस्त्रियोरशनि च्या वज्रं तु कुलिशोऽस्त्रियाम् // 55 // स्त्री द्रादिनी, पविः शम्वः शतकोटिः स्वरुर्भिदुः / दंभोलिः कुलिशो नूनं व्याधामः स्कूर्जथुनरि // 56 // भिदुरं क्लीबलिंगे स्यादतिभीः स्त्री निवेदिता / स्ववैद्यौ च यमौ प्रान्ते दशाऽमी पुंसि विश्रुताः // 57 // अप्सरसः स्त्रियां भूम्नि तथैकत्वेऽप्सराऽपरः / / विश्वकर्मादयः पुंसि हाहादयोऽपि मानवे // 58 // हाहाशब्दो द्विधा प्रोक्तः सान्तस्त्वादन्त एव हि / " हाहाश्च सौ परे रूपमग्रे रूपस्य भेदता // 59 // उक्ता यमादयः पुंसि धूमोर्णाथ पुरी स्त्रियाम् / किम्पुरुषेश्वरप्रान्ताश्चंण्डाद्याश्च नरीरिताः // 60 // . यातुः कश्चिन्नरे वक्ति क्लीबेऽत्र यातु-रक्षसी / स्वमते पुष्पकं क्लीबे पुष्पकोऽस्त्री मतान्तरे // 61 // प्रमा-त्रिकं स्त्रियां ज्ञेयं सारं क्लीबेऽथवा नरि / आत्मीये स्वस्त्रिषु प्रख्यो देयं स्वं तु धनेऽस्त्रियाम् // 62 // राः पुंस्त्रियोर्धनं चास्त्री विभवाौँ मतौ नरि।। नाणकं वित्तरिक्थाद्याः शेषा नपुंसकरिताः // 63 // कुनाभि-त्रितयं पुंसि निधानं तु नपुंसके / वाचस्पतिश्च पुंक्लीवे निधिः पनोऽपि शेवधिः // 64 // महापादयः पुंसि विख्याताः चर्चा चच्यश्च कुत्रचित् / शम्बाद्या पुंसि विख्याताः सप्तसप्ततिसंख्यकाः // 65 // .