________________ [R स्त्रीलिंगे पितृसूः संध्या त्रिसंध्या च मतान्तरे / / कुतपस्त्वपराहोऽह्नि मिथः स्यात् पुनपुंसके // 36 // निशाद्याः पूर्णिमारात्रि-पर्यता योषिति स्मृताः। .. पुंक्लीबे गणरात्रोऽपि पुण्याहोऽपि तथैव च / // 37 // पक्षिणी वासरे पक्षस्त्रियां पुंसि क्रमेण वै / गर्भकं क्लीबंलिंगोक्तं पुमान प्रदोष इत्यपि // 38 // . यामः प्रहरो निशीथस्तूच्चंद्र-द्वितयं नरि।.. अंधश्च तिमिरं ध्वान्तमन्धकारमयोषिति // 39 // * क्लीबे तमश्च मूच्छायं मूच्छाया वा स्त्रियामिह / तमिस्र तुल्यनक्तं तु स्त्रीक्लीबवाचकं किल // 40 // पुंक्लीवे विषुवत् प्रोक्तं पुंसि पक्ष द्विधा स तु / तिथियोः कर्मवाटी प्रतिपत्पक्षतिः स्त्रियाम् // 41 // सूर्येन्दुसंगमे दर्शः पुंसि कुहुद्विकं स्त्रियाम् / मासो माधो तथा शुक्रोऽस्त्रियां ज्येष्ठस्त्रिषु स्मृतः // 42 // अन्ये पुल्लिंगनिर्दिष्टा मार्गशीर्षादयः पुनः / ऋतुर्ना शिशिरेष्यौ द्वौ वसंतश्चास्त्रियां त्रयः // 43 // निदाघो धर्ममुष्णेर्थे पुनपुंसकलिंगके / ग्रीष्मे स्वेदे पुमान् धर्मः शिशिरत्तौं तपो नरि // 44 // सान्तं तपस तपं क्लीबे भूम्नि वर्षाः स्त्रियामपि / नार्या प्रावृट् शरद् ज्ञेया शरदा प्रावृषाऽथवा // 15 // पुल्लिगे कीर्तिताः शेषा ऋतुपर्यायवाचकाः / वत्सरे हायनो वर्षमन्दं पुंक्लीबलिंगयोः // 46 // .. स्त्रियां शरत्समा भूम्नि शरदो वा मतांतरे / कल्पाद्याः परिवर्तान्ता नरलिंगनिवेदिनः // 47 // स्त्रीलिंगे समसुप्तिः स्यादापतिरपतिस्तथा / अस्त्री बिहाय आकाशं विहायसाऽव्ययं पुनः // 48 // नभोर्थे द्यौ-दिवौ नार्या नभश्च नभमित्मपि / ... आकाशवाचकाः शेषाः नपुंसके मता बुधैः // 4 // स्यात्क्लीबेऽभ्रं घने शेषाः पुल्लिगे मेघवाचिनः / / आसाणे नास्त्रियां वर्ष वर्षणे करकत्रिषु // 50 // .