________________ अश्लेषा, श्रवणो, हस्तः स्वातिः स्त्रीपुंसयोरमी / विशाखास्तु स्त्रियां भूम्नि विशाखा स्वमते पुनः // 21 // पुंक्लीबे मूल इत्युक्तः स्त्रीलिंगे वारुणीद्वयम् / पूर्वभद्रपदाः स्त्रीत्वे पौष्णं स्मृतं नपुंसके // 22 // शेषाः पुंसि स्त्रियां क्लीबे वाच्या नक्षत्रवाचिनः / दाक्षायण्यः स्त्रियां सर्वा लग्नं पुंक्लीबवाचकम् // 23 // राशयः पुंसि मेषाद्याः आरो वक्रादयस्तथा / अग्निमारुतपर्वताः पुल्लिंगे सौम्बमस्त्रियाम् // 24 // राहुनाम्नि तमः क्लीवे तमो वा पुनपुंसके / / केतुग्रहे पुमानत्र ध्वजादौ वाच्यलिंगता // 25 // लोपामुद्रा-त्रिकं नार्या मरीचिरङ्गिरादयः / / भूम्नि सप्तर्षयश्चित्रशिखण्डिनश्च पुंस्यपि // 26 // . :: पुष्पदन्तौ पुष्पवन्तावेकोक्त्या शशिभास्करौ / त्रयोऽमी पुंसि विख्य ताः द्वित्ववचनभाषिणः // 27 // नरि ग्रहादयः पञ्चारिष्टश्च द्रुमपक्षिणोः / / नपुंसके चोपलिंगमरिष्टमशुभे तथा // 28 // अजन्यं समयस्त्वस्त्री स्त्रियामीतिर्निबेदिता / उत्पातप्रमुखाः सर्वे मूषकान्ता नरि स्मृताः // 29 // निमेषाश्च लवो लेशः क्षणस्तमी नरि मताः / . काष्ठाथ नाडिका नूनं धारिका घटिका स्त्रियाम् // 30 // मुहूर्तोऽपि त्वहोरात्रो वासरो दिवसं दिनम् / एकरात्रं द्विरात्रं हि पुनपुंसकलिंगके // 31 // धुघस्रौ पुंसि विख्याती प्रभातं स्यादहर्मुखम् / अहर्दिवं प्रगं व्युष्टं विभातं काल्यमेव च // 32 // कल्यप्रत्युषसी पंढे कश्चिद् व्युष्टिः स्त्रियामपि / .... उषः स्त्रीक्लीबलिंगे स्यात् प्रत्यूषं पुनपुंसके // 33 / / मध्याह्मः सवलिश्चैतौ विकालोत्सूरसंयुतौ / पुल्लिगेऽमी दिवामध्यं मध्यन्दिनं नपुंसके // 34 // सायं क्लीबेऽथवा पुंसि सायं वा मांतमव्ययम् / . क्लीबे दिनावसानं च त्रिसंध्यं तूपवैणवम् // 35 //