________________ तत्रारुणो वायलिंगो द्वासप्ततिमितान्यपि / नामानि कथितानीह स्मर्त्तव्यानि रवेः प्रगे // 6 // अंशुरुखो घृणिः केतुरभीशुः प्रग्रहः करः / गभस्ति-भानुरश्मी द्वौ मयूखस्तु वसुः शुचिः // 7 // विरोकः किरणः पुंसि द्युतिर्दीप्तिः छविर्विभा / . त्विद विषि र्दीधितिर्भा रुगुपधृतिः रुचिः स्त्रियाम् // 8 // रोचिः शोचिर्महः सान्तं ज्योतिर्धाम नपुंसके / स्त्रीक्लीबेऽर्चिश्व गौः पृश्निमरीचिर्भास्तु पुस्त्रियोः // 9 // उद्योतश्चातपालोको प्रकाशोऽमी स्मृता नरि / क्लीवे तेजस्तथा वर्चस्तूपसूर्यकमेवहि // 10 // मरीचिका मृगतृष्णा स्त्रीलिंगे मंडलं त्रिषु / परिधि-प्रमुखाः शब्दा माठरान्ता मता नरि // 11 // चंद्रेऽब्जोऽस्त्री निशारत्नम् अजहल्लिगमीरितम् / शेषाः पुंल्लिंगनिर्दिष्टाः चंद्रपर्यायवाचिनः // 12 // अंशः पुंसि कला नार्या चिह्न लक्षण-लांछने / लक्ष्माभिधानमेतेऽत्र नपुंसके निवेदिताः // 13 // पुल्लिगेऽङ्कः कलंकश्च स्त्रीलिंगे चंद्रिकाद्वयम् / चंद्रातपः पुमान् ज्योत्स्ना कौमुदी च मिथः स्त्रियाम् // 14 // बिम्बोऽस्त्री, मंडलं प्राग्वत् केचित्तु मंडली स्त्रियाम् / नक्षत्रं क्लीबलिंगे स्यात् त्रिलिंग्यां तारका सदा // 15 // तारा स्त्री, पुस्त्रियोरुक्ता ज्योतिर, भं च नपुंसके / उडुः स्त्री-क्लीबवाच्याऽपि सामान्यतो ग्रहो नरि // 16 // धिष्ण्यं क्लीबेऽस्त्रियामृक्षमश्विनी नामपंचकम् / भरणीयुगलं स्त्रीत्वे बहुत्वे कृत्तिकाः स्त्रियाम् // 17 // बोषिति बहुला भूम्नि मृगशिरो नपुंसके / अस्त्री मृगशिरोऽन्यत्र कश्चिन्मृगशिरा स्त्रियाम् // 18 // स्त्रियां लिंगेल्बलाः भूम्नि पुनर्वसू तु यामको / आदित्याविह पुल्लिगे ऋषोऽमी द्वित्ववाचिनः // 19 // पुमांसौ तिष्यपुष्यो द्वौ बहुत्वे तु मघाः स्त्रियाम् / पुल्लिगे मघशब्दस्य बहुत्वानियमोऽपरे // 20 //