________________ संस्थाओं और व्यक्तियों के प्रति अपनी हार्दिक कृतज्ञता प्रकट करते हैं, जिनका इनकी उपलब्धि में स्मरणीय सहयोग रहा है / दुर्लभ बौद्ध ग्रन्थ शोध योजना के सभी सदस्य, जिन्होंने इस जटिल ग्रन्थ का संशोधित संस्करण महती रुचि लेकर बड़ी लगन के साथ तैयार किया, हमारी प्रशंसा के पात्र हैं। इस प्रसंग में इस योजना के पूर्व उपनिदेशक प्रो. व्रजवल्लभ द्विवेदी, योजना परामर्शक पण्डित श्रीजनार्दन शास्त्री पाण्डेय एवं वरिष्ठ अनुसन्धान अधिकारी डॉ. बनारसी लाल विशेष धन्यवाद के पात्र हैं, जिन्होंने स्व. प्रो. जगन्नाथ उपाध्याय जी के द्वारा प्रथम भाग में अपनाई गई पद्धति का अनुसरण कर इस भाग को प्रस्तुत करने में विशेष सहयोग दिया है। इस ग्रन्थ के दक्षतापूर्ण मुद्रण के लिये हम 'शिवम् प्रिन्टर्स' के श्री हरिप्रसाद निगम के भी आभारी हैं। __ हमें आशा है कि प्रस्तुत ग्रन्थ का बौद्ध तन्त्र के अध्ययन में महत्त्वपूर्ण योगदान सिद्ध होगा। इस ग्रन्थ के तृतीय भाग का, जिसमें कालचक्र तन्त्र एवं विमलप्रभा टीका के शेष पंचम पटल के साथ विभिन्न परिशिष्टों का समावेश होगा, प्रकाशन शीघ्र हो सके, इसके लिये हम विद्वानों की शुभ कामनाओं के अभिलाषी हैं। मार्च, सन् 1994 एस. रिन्पोछे निदेशक .