________________ विमलप्रभायां [लोकधातु इति मकरसंक्रान्तिदिनैस्त्रिशद्भिः सवर्गः समात्रं चरति / एवं कुम्भमीनमेषवृषभमिथुनसंक्रान्तिदिनस्तवर्ग, पवर्ग, टवर्ग, चवर्ग, कवर्ग चरति समात्रम् अशोत्युत्तरशतदिनैरिति कर्कटसंक्रान्ति यावद्दिवावृद्धिः। दिवावृद्धेः सूर्यः संहाररूपेण वेदितव्य इति / अत्र रात्रिदिवावृद्धिस्वभावाक्षराणि; तद्यथा-रात्रिवृद्धिः ङ ङि 1 ङ ङ्ल ऊँ, घ घि घृ घु घ्ल घं, ग गि गृ गु ग्ल गं, ख खि खु खु ख्ल खं, क कि कृ कु क्लू के इति ककटे वृद्धिः / नि त्रु ल , झ झि झु झु इलू झं, ज जि जृ जु ज्ल जं, छ छि छु छु छल छं, च चि चु चु च्ल चं इति सिंहवृद्धिः। ण णि ण णु फ्लू णं, ढ ढि ढ ढ ढल ढं, ड डि डु डु डल डं, ठठितृ ठु ठल ठं, ट टि टू टु ल टं इति कन्यावृद्धिः। म मि मृ मुम्ल में, भ भि भृ भु भ्लू भं, ब बि बृ बुब्लू बं, फ फि फु फू फ्लू 10 फं, प पि पृ पु प्ल पं इति तुलावृद्धिः। न नि नृ नु न्ट नं, धघि धृ धु ध्लू धं, द दि दृ दु द्ल दं, थ थि थू थु थ्ल थं, त ति तृ तु त्ल तं इति वृश्चिकवृद्धिः / 8888 88 क कि कृ कुक्ल क, शशि शृ शु श्ल शं, ष षि षषु ष्ल षं, य य य युप्लु , .. स सि स सुस्लृ सं इति धनुसंक्रान्ती गर्वृद्धि, दिनक्षयः षट्मासदिनैरिति / ततो मकरादिना दिवावृद्धिः / स्साः स्स्ल स्सू स्स स्सी स्सा, * आः न्या. या अ यो या षाः ष्ष्ल ष्षू पृ ष्षी ष्षा, श्शाः श्श्ल श्शू श्श श्शी श्शा, इति मकरे वृद्धिः। ताः लू तू तृ ती ता, थ्थाः थ्थ्ल थ्थू थ्य थ्थी थ्था, द्दाः द्दल 6 6 द्दी दा, धाः ल [40a] धू धू ध्धी ध्धा, 20 नाः न्ल न्नू न्न न्नी न्ना [इति] कुम्भे वृद्धिः / प्पाः प्प्ल प्पू प्प प्पी प्पा, फ्फाः फ्फ्ल फ्फू पफ फ्फो फ्फा, ,ब्बाः ब्ब्ल ब्बू ब्ब ब्बी ब्बा, भ्भाः भ्भल भ्भू भू भ्भी भ्भा, म्माः म्म्ल म्मू म्म म्मी म्मा इति मीने वृद्धिः / ट्टाः दल दृट्टा, ठाः ठूल ठ ठ ठी ठा, ड्डाः ड्डुल ड. ड. ड्डी ड्डा, द्वाः ठूल टू इट्ठी ढा, ण्णाः ल ण्णू ण्ण ण्णी ण्णा इति मेषे वृद्धिः। च्चाः च्च्ल च्चू च्च च्ची 25 च्चा, छ्छाः छ्छल छ्छू छ्छ् छ्छी छ्छा, ज्जाः ज्ज्ल ज्जू ज्ज ज्जी ज्जा, इझाः इइल झ्झू इस इझी इझा, ञाः ल यू ञी ञा इति वृषे वृद्धिः / क्काः क्क्ल क्कू क्कृ क्की क्का, रूखाः क्ष ख्खू ख्ख खी ख्खा, ग्गाः ग्ल ग्गू ग्गग्गी ग्गा, घाः घ्ल