________________ खण्ड 1, प्रकरण : 2 २-श्रमण-परम्परा को एकसूत्रता और उसके हेतु 53 कोशल के राजा की भद्रा नामक सुन्दर पुत्री यज्ञ-मण्डप में मुनि को प्रताड़ित हुए देख क्रुद्ध कुमारों को शान्त करने लगी। उसने कहा___ "राजाओं और इन्द्रों से पूजित यह वह ऋषि है, जिसने मेरा त्याग किया। देवता के अभियोग से प्रेरित होकर राजा द्वारा मैं दी गई, किन्तु जिसने मुझे मन से भी नहीं चाहा। 'यह वही उग्र तपस्वी, महात्मा, जितेन्द्रिय, संयमी और ब्रह्मचारी है, जिसने मुझे मेरे पिता राजा कौशलिक द्वारा दिये जाने पर भी नहीं चाहा / ___"यह महान् यशस्वी है / महान् अनुभाग (अचिन्त्य-शक्ति) से सम्पन्न है / घोर व्रती है, घोर पराक्रमी है / इसकी अवहेलना मत करो, यह अवहेलनीय नहीं है / कहीं यह अपने तेज से तुम्हें भस्मसात् न कर डाले।" सोमदेव पुरोहित की पत्नी भद्रा के सुभाषित वचनों को सुन कर यक्षों ने ऋषि का वयावृत्त्य (परिचर्या) करने के लिए कुमारों को भूमि पर गिरा दिया। वे घोर रूप वाले यक्ष आकाश में स्थिर होकर उन छात्रों को मारने लगे। उनके शरीर को क्षत-विक्षत और उन्हें रुधिर का वमन करते देख भद्रा फिर कहने लगी___ "जो इस भिक्षु का अपमान कर रहे हैं, वे नखों से पर्वत को खोद रहे हैं, दाँतों से लोहे को चबा रहे हैं, पैरों से अग्नि को प्रताड़ित कर रहे हैं / "यह महर्षि आशीविष-लब्धि से सम्पन्न है। उग्र तपस्वी है। घोर व्रती और घोर पराक्रमी है। भिक्षा के समय जो भिक्षु का वध कर रहे हैं, वे पतंग-सेना की भाँति अग्नि में झंपापात कर रहे हैं। ___"यदि तुम जीवन और धन चाहते हो तो सब मिल कर, सिर झुका कर इस मुनि की शरण में आओ / कुपित होने पर यह समूचे संसार को भस्म कर सकता है।" उन छात्रों के सिर पीठ की ओर भुक गए / भुजाएं फैल गई। वे निष्क्रिय हो गए। उनकी आँख खुली की खुली रह गई। उनके मुँह से रुधिर निकलने लगा। उनके मुँह ऊार को हो गए। उनकी जीभ और नेत्र बाहिर निकल आए। उन छात्रों को काठ की तरह निश्चेष्ट देख कर वह सोमदेव ब्राह्मण उदास और घबराया हुआ अपनी पत्नी-सहित मुनि के पास आ उन्हें प्रसन्न करने लगा "भन्ते ! हमने जो अवहेलना और निन्दा की उसे क्षमा करें।" "भन्ते ! मूढ़ बालकों ने अज्ञानवश जो आपकी अवहेलना की, उसे आप क्षमा करें। ऋषि महान् प्रसन्नचित्त होते हैं / मुनि कोप नहीं किया करते।" मुनि ने कहा- "मेरे मन में प्रद्वेष न पहले था, न अभी है और न आगे भी होगा। किन्तु यक्ष मेरा वैयावृत्त्य कर रहे हैं / इसीलिए ये कुमार प्रताड़ित हुए।"