________________ उत्तराध्ययन : एक समीक्षात्मक अध्ययन मायं च वज्जए सया / 1224 कपट मत करो। न सिया तोत्तगवेसए / 1140 - __ चाबुक की प्रतीक्षा मत करो। अदीणमणसो चरे। 203 मानसिक दासता से मुक्त होकर चलो। मणं पिन पओसए / 2011 मन में भी द्वेष मत लाओ। नाणी नो परिदेवए / 2013 ज्ञानी को विलाप नहीं करना चाहिए। न य वित्तासए परं / 2020 दूसरों को त्रस्त मत करो। नाणुतप्पेज्ज संजए / 2030 संयमी को अनुताप नहीं करना चाहिए / रसेसु नाणुगिज्झज्जा / 2039 .. रस-लोलुप मत बनो। सुई धम्मस्सदुलहा / 38 धर्म सुनना बहुत दुर्लभ है। सद्धा परमदुल्लहा / 3 / 9 श्रद्धा परम दुर्लभ है। सोच्चा नेआउयं मग्गं बहवे परिभस्सई / 39 कुछ लोग सही मार्ग को पा कर भी भटक जाते हैं। वोरियं पुण दुलहं / 3.10 क्रियान्विति सबसे दुर्लभ है / सोही उज्जुयभूयस्स / 3 / 12 पवित्र वह है जो सरल है। धम्मो सुद्धस्स चिट्ठई / 3 / 12 धर्म का वास पवित्र आत्मा में होता है। असंखयं जीविय मा पमायए / 41 जीवन का धागा टूटने पर संधता नहीं, अतः प्रमाद मत करो। जरोवणीयस्स हु नत्थि ताणं / 4.1 बुढ़ापा आने पर कोई त्राण नहीं देता।