________________ खण्ड 2, प्रकरण : 10 परिभाषा-पद 4. भिक्षु ___ देखिए-पन्द्रहवाँ अध्ययन / 5. पाप-श्रमण देखिए-सत्रहवाँ अध्ययन / 6. ब्राह्मण देखिए-२५।१६-२७ / 7. द्रव्य (28 / 6) __ गुणाणमासो दव्वं-'जो गुणों का आश्रय होता है, वह द्रव्य है।' 8. गुण (2816) __एगदव्य सिया गुणा- 'जो किसी एक द्रव्य के आश्रित रहते हैं, वे गुण हैं।' 9. पर्याय (28 / 6,13) लक्षणं पज्जवाणं तु, उमओ अस्सिया भवे // 26 // . 'जो द्रव्य और गुण दोनों के आश्रित रहते हैं, वे पर्याय हैं।' एमत्तं च पुहत्तं च संखा संठाणमेव य। संजोगा य विभागा य पज्जवाणं तु लक्खणं // 28 // 13 // 'एकत्व, पृथकत्व, संख्या, संस्थान, संयोग और विभाग–ये पर्याय के लक्षण हैं।' 10. धर्मास्तिकाय (28 / 9) .' गइलक्खणो उ धम्मो.-'धर्म का लक्षण है गति / ' 11. अधर्मास्तिकाय (2819) अहम्मो ठाणलक्खणो–'अधर्म का लक्षण है स्थिति / ' 12. आकाशास्तिकाय (28 / 9) भायणं सव्वदव्वाणं नहं ओगाहलक्खणं / / / 'आकाश का लक्षण है अवकाश / वह सब द्रव्यों का भाजन है।' 13. काल (28 / 10) वत्तणालक्खणो कालो-काल का लक्षण है वर्तना।' 14. जीव (28 / 10,11) जीवो उवमोगलक्षणो–'जीव का लक्षण है उपयोग / '