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________________ खण्ड : 1, प्रकरण : 1 २-श्रमण-संस्कृति का प्राग-ऐतिहासिक अस्तित्व 16 छिड़ा और वह 300 वर्षों तक चलता रहा।' आर्यों का इन्द्र पहले बहुत शक्तिशाली नहीं था। इसलिए प्रारम्भ में आर्य लोग पराजित हुए। ___भारतवर्ष में असुर राजाओं की एक लम्बी परम्परा रही है। वे सभी व्रत-परायण, बहुश्रुत और लोकेश्वर थे।" असुर प्रथम आक्रमण में हो वैदिक-आर्यो' से पराजित नहीं हुए थे। जब तक वे सदाचार-परायण और संगठित थे तब तक आर्य लोग उन्हें पराजित नहीं कर सके। किन्तु जब असुरों के आचरण में शिथिलता आई तब आर्यो ने उन्हें परास्त कर डाला। इस तथ्य का चित्रण इन्द्र और लक्ष्मी के संवाद में हुआ है। इन्द्र के पूछने पर लक्ष्मी ने कहा--"सत्य और धर्म से बंध कर पहले मैं असुरों के यहाँ रहती थी, अब उन्हें धर्म के विपरीत देख कर मैंने तुम्हारे यहाँ रहना पसन्द किया है / मैं उत्तम गुणों वाले दानवों के पास सृष्टि-काल से लेकर अब तक अनेकों युगों से रहती आई हूं। किन्तु अब वे काम-क्रोध के वशीभूत हो गए हैं, उनमें धर्म नहीं रह गया है इसलिए मैंने उनका साथ छोड़ दिया।"६ इससे स्पष्ट है कि दानवों की राज्य-सत्ता सुदीर्घ-काल तक यहाँ रही और उसके पश्चात् वह इन्द्र के नेतृत्व में संगठित आर्यों के हाथ में चली गई। वैदिक-आर्यों का प्रभुत्व उत्तर भारत पर अधिक हुआ था / दक्षिण भारत में उनका प्रवेश बहुत विलम्ब से हुआ या, विशेष प्रभावशाली रूप में नहीं हुआ। जब दैत्यराज बलि की राज्यश्री ने इन्द्र का वरण किया तब इन्द्र ने दैत्यराज बलि से कहा- "ब्रह्मा ने मुझे आज्ञा दी है कि मैं तुम्हारा वध न करूं / इसीलिए मैं तुम्हारे सिर पर वज्र नहीं छोड़ -- १-मत्स्यपुराण, 24 / 37 : अथ देवासुरं युद्धमभूद् वर्षशतत्रयम् / २-महाभारत, शान्तिपर्व, 227 / 22 : अशक्तः पूर्वमासीस्त्वं, कथंचिच्छक्ततां गतः / कस्त्वदन्य इमां वाचं, सुक्रूरां वक्तुमर्हति // ३-विष्णुपुराण, 3 / 17 / 9 / देवासुरमभूद् युद्धं, दिव्यमब्दशतं पुरा। तस्मिन् पराजिता देवा, दैत्यर्हादपुरोगमैः / / ४-महाभारत, शान्तिपर्व, 227 / 49-54 / ५-वही, 227159-60 / ६-वही, 228 / 49,50 /
SR No.004302
Book TitleUttaradhyayan Ek Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
Publication Year1968
Total Pages544
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size8 MB
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