________________ (14 / 21) (14 / 22) उत्तराध्ययन : एक समीक्षा अभाहयमि लोगमि सव्वओ' परिवारिए। अमोहाहिं पडन्तीहि, गिहंसि न रई लभे // केण अभाहओ लोगो ? केण वा परिवारिओ ? / का वा अमोहा वुत्ता ? जाया ! चिंतावरो हुमि // मच्चूणाज्भाहओ लोगो, जराए परिवारिओ। अमोहा रयणी वुत्ता, एवं ताय ! वियाणह // जा जा बच्चइ रयणी, न सा पडिनियत्तई / अहम्मं कुणमाणस, अफला जन्ति राइओ // जा जा वच्चइ रयणी, न सा पडिनियत्तई / धम्मं च कुणमाणस्स, सफला जन्ति राइओ // . . (14 / 23) (14 / 24,25) (14 / 27) (14 / 26) (14 / 38) जस्सत्थि मच्चूणा सक्खं, जस्स वऽत्थि पलायणं / जो जाणे न मरिस्सामि, सो हु कंखे सुए सिया // पहीणपुत्तस्स हु नत्थि वासो, वासिठि ! भिक्खायरियाइ कालो। . साहाहि रुक्खो लहए समाहिं, छिन्नाहि साहाहि . तमेव खाणुं // वन्तासी पुरिसो रायं ! न सो होइ पसंसिओ। माहणेण परिच्चत्तं, धणं आदाउमिच्छसि // सामिसं कुललं दिस्स, बज्झमाणं निरामिसं / आमिसं सव्वमुज्झित्ता, विहरिस्सामि निरामिसा // नागो व्व बन्धणं छित्ता, अप्पणो वसहिं वए। एयं पत्थं महारायं ! उसुयारि त्ति मे सुयं // करकण्डू कलिंगेसु, पंचालेसु य दुम्मुहो। नमी राया विदेहेसु, गन्धारेसु य नग्गई // एए नरिन्दवसभा, निक्खन्ता जिणसासणे। पुतै रज्जे ठवित्ताणं, सामण्णे पज्जुवट्ठिया // (14 / 46) (14 / 48) (1845,46)