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________________ 432 उत्तराध्ययन : एक समीक्षात्मक अध्ययन बड़े घरों में दासियाँ भोजन आदि परोसने का कार्य भी करती थीं।' दासों को स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त नहीं था। दास-चेटक भी वेदाध्ययन करते और विशेष शिक्षा के लिए अन्य देशों में जाते थे। कभी-कभी उनकी विद्वत्ता पर मुग्ध हो कर अध्यापक अपनी कन्या उन्हें दे देते थे। रतनपुर के अध्यापक ने अपनी कन्या सत्यभामा का विवाह कपिल नामक दास-चेटक से किया। विद्यार्थी विद्यार्थी विद्याभ्यास के लिए दूसरे-दूसरे नगरों में जाते थे। सम्पन्न लोग उनके . निवास व खान-पान की व्यवस्था करते थे। शंखपुर का राजकुमार, अगडदत्त वाराणसी गया और वहाँ कलाचार्य के पास कलाओं की शिक्षा प्राप्त करने लगा। __ कौशाम्बी नगरी के ब्राह्मण काश्यप का पुत्र कपिल श्रावस्ती में पढ़ने गया और अपने कलाचार्य की सहायता से अपने भोजन का प्रबन्ध वहां के धनी शालीभद्र के यहाँ किया। विद्यार्थी का समाज में बहुत सम्मान था। जब कोई विद्याध्ययन समाप्त कर घर आते, तब उनका सार्वजनिक सम्मान किया जाता था। दशपुर के सोमदेव ब्राह्मण का लड़का रक्षित जब पाटलिपुत्र से चौदह विद्याएँ सीख कर लौटा तो नगर ध्वजा-पताकाओं से सज्जित किया गया। राजा स्वयं स्वागत करने के लिए सामने गया। उसने रक्षित का सत्कार किया और उसे अग्राहार-उच्चजीविका प्रदान की। नगर के लोगों ने उसका अभिनन्दन किया। वह हाथी पर बैठ कर अपने घर गया। वहाँ भी उसके स्वजनों और मित्रों ने उसका आदर किया। घर चन्दन-कलशों से सजाया गया। वह घर के बाहर उपस्थानशाला में बैठ गया और आगन्तुक लोगों से उपहार स्वीकार करने लगा। उसका घर द्विपद, हिरण्य तथा सुवर्ण आदि से भर गया।६ ब्राह्मण चौदह विद्याओं में पारंगत होते थे। वे चौदह विद्याएँ ये हैं-(१) शिक्षा, (2) कल्प, (3) व्याकरण, (4) निरुक्त, (5) छन्द, (6) ज्योतिष, (7) ऋग्वेद, (8) यजुर्वेद, १-सुखबोधा, पत्र 124 // २-उत्तराध्ययन, 1336 / ३-सुखबोधा, पत्र 243 / ४-वही, पत्र 30 / ५-वही, पत्र 124 / ६-वही, पत्र 23 /
SR No.004302
Book TitleUttaradhyayan Ek Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
Publication Year1968
Total Pages544
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size8 MB
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