________________ 425 उत्तराध्ययन : एक समीक्षात्मक अध्ययन मिले / राजा ने उनकी परीक्षा करनी चाही। एक पर राजा स्वयं चढ़ा और दूसरे पर राजकुमार / राजा जिस घोड़े पर सवार हुआ था, वह विपरीत शिक्षा वाला था। ज्योंज्यों उसकी लगाम खींची जाती, त्यों-त्यों वह वेग से दौड़ता था। इस प्रकार वह घोड़ा राजा को ले कर 12 योजन चला गया। अन्त में राजा ने लगाम ढीली कर दी / घोड़ा वहीं रुक गया। घोड़े को वहीं एक वृक्ष से बाँध राजा पर्वत पर दीख रहे सात मंजिले प्रासाद पर चढ़ा और वहाँ एक युवती से गन्धर्व-विवाह कर लिया। पाञ्चाल राजा के पुत्र ब्रह्मदत्त ने अपने मामा पुष्पचूल की लड़की पुष्पावती से गन्धर्व-विवाह किया। क्षितिप्रतिष्ठान नगर के राजा जितशत्रु ने एक दरिद्र चित्रकार की पुत्री कनकमञ्जरी के वाक्कौशल से प्रभावित हो कर गन्धर्व-विवाह कर लिया / यह अन्तर्जातीय-विवाह का भी एक उदाहरण है। पुनर्विवाह की प्रथा भी प्रचलित थी। बहुपत्नी प्रथा . उस समय बहुपत्नी प्रथा भी समृद्धि का अंग समझी जाती थी। राजा व राजकुमार अपने अन्तःपुर में रानियों की अधिकाधिक संख्या रखने में गौरव का. अनुभव करते थे। और यह अन्तःपुर अनेक राजाओं के साथ मित्रतापूर्ण-सम्बन्ध स्थापित हो जाने के कारण उनकी राजनीतिक सत्ता को शक्तिशाली बनाने में सहायक होता था। धनवान् लोग बहुपत्नी प्रथा को धन, संपत्ति, यश और सामाजिक गौरव का कारण मानते थे। चम्पा नगरी का सुवर्णकार कुमारनन्दी ने एक-एक कर पाँच सौ कन्याओं के साथ विवाह किया था। जब कभी वह सुन्दर कन्या को देखता, उससे विवाह कर लेता था। तलाक प्रथा और वैवाहिक शुल्क छोटी-मोटी बातों के कारण पनियों को छोड़ देने की प्रथा थी / १-सुखबोधा, पत्र 141: .....'कओ गंधव विवाहो। . २-वही, पत्र 190 : .....तो सा तेण गंधव्वविवाहेण विवाहिमा। ३-वही, पत्र 142 / ४-उत्तराध्ययन, 13125; 18 / 16 / ५-सुखबोधा, पत्र 142 / ६-वही, पत्र 252 /