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________________ खण्ड 2, प्रकरण : 5 सभ्यता और संस्कृति 427 प्रचलन था।' जया, विजया, ऋद्धि, वृद्धि आदि औषधियों से संस्कारित पानी से वर को स्नान कराया जाता था और उसके ललाट से मुशल का पर्श करना माङ्गलिक माना जाता था। माता-पिता विवाह से पूर्व अपनी लड़की को यक्ष-मन्दिर में भेजते थे और यह मान्यता प्रचलित थी कि यक्ष के द्वारा उपभुक्त होने पर ही लड़की पति के पास जा सकती है / एक ब्राह्मणी ने अपनी लड़की को विवाह से पूर्व यक्ष-मन्दिर में इसीलिए भेजा था। विवाह के कई प्रकार प्रचलित थे। उनमें स्वयंवर और गन्धर्व-पद्धति भी अनुमोदित थी। स्वयंवर इस पद्धति में कन्या स्वयं अपने वर का चुनाव करती थी। कभी-कभी कन्या वर की खोज में विभिन्न स्थानों पर जाती थी। एक बार मथुरा के राजा जितशत्रु ने अपनी पुत्री निर्वति को इच्छानुसार वर की खोज करने के लिए कहा / वह सेना और वाहन ले कर इन्द्रपुर गई। वहाँ के राजा इन्द्रदत्त के बाईस पुत्र थे। कन्या ने एक शर्त रखते हुए कहा-"आठ रथ-चक्र हैं। उनके आगे एक पुतली स्थापित है। जो कोई उसकी बाई आँख को बाण से बींधेगा, उसी का मैं वरण करूंगी।" राजा अपने पुत्रों को ले कर रंगमंच पर उपस्थित हुआ। बारी-बारी से राजा के सभी पुत्रों ने पुतली को बींधने का प्रयास किया, किन्तु कोई सफल नहीं हो सका / अन्त में राजा का एक पुत्र सुरेन्द्रदत्त, जो मन्त्री की कन्या से उत्पन्न था, रंगमंच पर आग। चारों ओर से हो-हल्ला होने लगा। दो व्यक्ति नंगी तलवार ले कर दोनों ओर खड़े हो गये और कुमार से कहा- यदि तुम इस कार्य में असफल रहे तो हम तुम्हारा सिर धड़ से अलग कर देंगे। कुमार उनकी चुनौती स्वीकार करते हुए, आगे आया और देखते-देखते पुतली की बाई आँख को बाण से बींध डाला / कुमारों ने उसके गले में वरमाला पहना दी। गन्धर्व-विवाह . विवाह की दूसरी पद्धति थी गंधर्व-विवाह / इसका अर्थ है-'बिना पारिवारिक अनुमति के वर-कन्या का ऐच्छिक विवाह' / गन्धर्व देश की राजधानी पुण्ड्रवधन थी। वहाँ के राजा का नाम सिंहरथ था। एक बार उसे उत्तरापथ से दो घोड़े उपहार में १-सुखबोधा, पत्र 97 / २-वृहद् वृत्ति, पत्र 490 / ३-वही, पत्र 136 / ४-वही, पत्र 148-150 /
SR No.004302
Book TitleUttaradhyayan Ek Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
Publication Year1968
Total Pages544
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size8 MB
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