________________ उत्तराध्ययन : एक समीक्षात्मक अध्ययन प्रस्तुत सूत्र तथा वृत्ति में अनेक उद्यानों के नाम उल्लिखित हुए हैं (1) काम्पिल्य में- केसर उद्यान (1901) / (2) राजगृह में- मण्डिकुक्षो उद्यान (2012) / (3) श्रावस्ती में- तिन्दुक उद्यान (23 / 4) / कोष्ठक उद्यान (238) / (4) उज्जनी में- स्नपन उद्यान (बृहद् वृत्ति, पत्र 46) / संभव है यह केवल स्नान के लिए ही काम में आता था। . (5) वीतभयनगर में- मृगवन उद्यान (सुखबोधा, पत्र 254) / (6) सेयविया में- पोलास उद्यान (सुखबोधा, पत्र 71) / उद्यानों में वृक्षों से घिरे हुए तथा नागरबेल आदि वल्लियों से आच्छादित मण्डप होते थे। मुनि प्रायः उन मण्डपों में ध्यान करते थे। ___ उद्यानिका महोत्सव धूमधाम से मनाया जाता था। उसमें नगर के सभी नर-नारी गांव के बाहर निश्चित स्थान पर एकत्रित होते थे। वे मस्त हो कर अनेक क्रीडाओं में संलग्न रहते थे। स्त्रियाँ अलग से इकट्ठी हो कर नृत्य और गीतों से महोत्सव मनाती थीं। प्रकृति विश्लेषण - उज्जनी के लोग बहुत विवेकी होते थे। वे सुन्दर-असुन्दर, अच्छे-बुरे को जानने में निपुण थे। मगध के लोग इंगित को समझने में कुशल होते थे। मालव और सौराष्ट्र के लोग क्रोधी होते थे।५।। विवाह विवाह के समय तिथि और मुहूर्त भी देखे जाते थे। विवाह से पूर्व देवमंदिर में वेदिका का पूजन तथा मूर्ति के आगे प्रणमन किया जाता था। कन्या-विक्रय का भी १-सुखबोधा, पत्र 228 / २-वही, पत्र 247 / ३-वही, पत्र 60: अइनिउणो उज्जेणीजणो जाणइ सुंदरासुंबरविसेसं / ४-उत्तराध्ययन चूर्णि, पृ० 43 : इंगितज्ञाश्च मागधाः। ५-वही, पृ० 24 / ६-सुखबोधा, पत्र 142 / ७-वही, पत्र 141 /