________________ 406 उत्तराध्ययन : एक समीक्षात्मक अध्ययन संबंधन संयोग चार प्रकार का है (1) द्रव्य-सम्बन्धन संयोग / (2) क्षेत्र-सम्बन्धन संयोग / (3) काल-सम्बन्धन संयोग / (4) भाव-सम्बन्धन संयोग / द्रव्य-सम्बन्धन संयोग तीन प्रकार का है (1) सचित्त द्रव्य सम्बन्धन संयोग(क) द्विपद- पुत्र के संयोग से 'पुत्री' / (ख) चतुष्पद- गाय के संयोग से 'गोमान' / (ग) अपद- आराम ( बगीचे ) के संयोग से 'आरामिका'। पनस के संयोग से 'पनसवान्' / (2) अचित्त द्रव्य-सम्बन्धन संयोग-कुण्डल के संयोग से 'कुण्डली' / (3) मिश्र द्रव्य-सम्बन्धन संयोग- रथ पर चढ़कर जाने वाले को 'रथिक' कहा जाता है। क्षेत्र-सम्बन्धन संयोग दो प्रकार का होता है (1) अनपित (अविशेष)। (2) अर्पित (विशेष) सुराष्ट्र से सम्बन्धित 'सौराष्ट्रक' / मालव से सम्बन्धित 'मालवक' / मगध से सम्बन्धित 'मागध' / काल-सम्बन्धन संयोग के दो प्रकार हैं (1) अनर्पित (2) अर्पित-वसन्तकाल से सम्बन्धित को 'वासन्तिक' कहा जाता है। भाव-सम्बन्धन संयोग दो प्रकार का है (1) आदेश- औदयिक आदि भाव / (2) अनादेश- छः भावों में से कोई एक भाव / ४-पर-संयोग इसके चार प्रकार हैं (1) द्रव्य-बाह्य संयोग- दण्ड के संयोग से 'दण्डी'। (2) क्षेत्र-बाह्य संयोग- अरण्य में पैदा होने वाला 'अरण्यज' और नगर में पैदा होने वाला 'नगरज' कहलाता है।