________________ खण्ड 2, प्रकरण : 4 व्यक्ति परिचय 361 रथनेमि (22 / 34) ये अन्धककुल के नेता समुद्र विजय के पुत्र थे और तीर्थङ्कर अरिष्टनेमि के लघु-भ्राता थे। अरिष्टनेमि के प्रवजित हो जाने पर वे राजीमती में आसक्त हो गए। पर राजीमती का उपदेश सुन कर वे संभल गए और दीक्षित हो गए। एक बार पुन: रैवतक पर्वत पर वर्षां से प्रताड़ित साध्वी राजीमती को एक गुफा में कपड़े सुखाते समय नग्न अवस्था में देख, वे विचलित हो गए / साध्वी राजीमती के उपदेश से वे संभल गए और अपने विचलन पर पश्चात्ताप करते हुए चले गए।' भोजराज (22 / 43) ___ जैन-साहित्य के अनुसार 'भोजराज' शब्द राजीमती के पिता उनसेन के लिए प्रयुक्त है। अन्धकवृष्णि (22 / 43) हरिवंशपुराण के अनुसार यदुवंश का उद्भव हरिवंश से हुआ। यदुवंश में नरपति नाम का राजा था। उसके दो पुत्र थे-(१) शूर और (2) सुवीर / सुवीर मथुरा में राज्य करता था और शूर शौर्यपुर का राजा बना। अन्धक-वृष्णि आदि 'सूर' के पुत्र थे और भोजनकवृष्णि आदि सुवीर के / अन्धकवृष्णि की मुख्य रानी का नाम सुभद्रा था। उसके दस पुत्र हुए-. . (1) समुद्रविजय (6) अचल (2) अक्षोभ्य (7) धारण (3) स्थिमिति सागर (8) पूरण (4) हिमवान् (6) अभिचन्द्र (5) विजय (10) वसुदेव . ये दसों पुत्र दशाह नाम से प्रसिद्ध हुए। अन्धकवृष्णि के दोकन्याएं थीं-(१) कुन्ती और (2) मद्री। भोजकवृष्णि की पत्नी का नाम पद्मावती था। उसके उग्रसेन, महासेन और . * देवसेन२-ये तीन पुत्र हुए / उनके एक गान्धारी नाम की पुत्री भी हुई। अरिष्टनेमि, रथनेमि आदि अन्धकवृष्णि राजा समुद्रविजय के पुत्र थे। कृष्ण आदि अन्धकवृष्णि वसुदेव के पुत्र थे। वैदिक पुराणों में इनकी वंशावली भिन्न-भिन्न प्रकार से दी गई है। १-सुखबोधा, पत्र 277-78 / २-उत्तरपुराण, (70 / 10) में इनका नाम महाद्युतिसेन दिया है। ३-देखिए-हरिवंशपुराण, 18 // 6-16 / ४-उत्तरपुराण, 70 / 101 /