________________ 36. उत्तराध्ययन : एक समीक्षात्मक अध्ययन राम (22 / 2) देखिए–'रोहिणी'। केशव (22 / 2) यह कृष्ण का पर्याय नाम है। ये वृष्णिकुल में उत्पन्न हुए थे। इनके पिता का नाम वसुदेव और माता का नाम देवकी था। ये अरिष्टनेमि के चचेरे भाई थे। समुद्रविजय (22 / 63) ये सोरियपुर नगर में अंधककुल के नेता थे। उनकी पटरानी का नाम शिवा था। उसके चार पुत्र थे—(१) अरिष्टनेमि, (2) रथनेमि, (3) सत्यनेमि और (4) दृढनेमि / ' अरिष्टनेमि बाईसवें तीर्थङ्कर हुए और रथनेमि तथा सत्यनेमि प्रत्येक बुद्ध हुए। शिवा (22 / 4) देखिए - 'समुद्रविजय'। अरिष्टनेमि (22 / 4). ये बाईसवें तीर्थङ्कर थे। ये सोरियपुर नगर के राजा समुद्रविजय के पुत्र थे। इनकी माता का नाम शिवा था / ये गौतम गोत्रिय थे। कृष्ण इनके चचेरे भाई थे और आयुष्य में इनसे बड़े थे। राजीमती (22 / 6) ___ यह भोजकुल के राजन्य उग्रसेन की पुत्री थी। इसका वैवाहिक सम्बन्ध अरिष्टनेमि से तय हुआ था। किन्तु विवाह के ठीक समय पर अरिष्टनेमि को वैराग्य हो आया और वे मुनि बन गए / राजीमतो भी, कुछ काल बाद, प्रवजित हो गई। विष्णुपुराण (4 / 14 / 21) के अनुसार उनसेन के चार पुत्रियाँ थीं-कंसा, कंसवती, सुतनु और राष्ट्रपाली। संभव है 'सुतनु' राजीमती का ही दूसरा नाम हो / उत्तराध्ययन (22 / 37) में रथनेमि राजमती को 'सुतनु' नाम से सम्बोधित करते हैं / वासुदेव (22 / 8) कृष्ण का पर्यायवाची नाम है। वसारचक्र' (22 / 11) दस यादव राजाओं को 'दसार' कहा जाता है। वे ये हैं(१) समुद्रविजय (6) अचल (2) अक्षोभ्य (7) धरण (3) स्तिमित (8) पूरण (4) सागर (6) अभिचन्द (5) हिमवान् (10) वसुदेव १-विशेष विवरण के लिए देखिए–'उत्तराध्ययन-टिप्पण', पृ० 160-961 /